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दुश्मनों के छिपाये विस्फोटक को खोज सकता है यह ड्रोन, रमेश की इच्छा प्रयोग करे भारतीय सेना

सुबोध चौरसियाराजगंज : राजगंज थाना क्षेत्र के हरिजन टोला निवासी इलेक्ट्रॉनिक मिस्त्री रमेश कुमार दास (24) ने एक अजूबा डिटेक्टर ड्रोन बनाया है. उनका दावा है कि दुश्मनों द्वारा छिपा कर रखी विस्फोटक सामग्री को खोज निकालने में यह डिटेक्टर ड्रोन सफल हो सकता है. रमेश की इच्छा है कि उसके बनाये इस डिटेक्टर ड्रोन […]

सुबोध चौरसिया
राजगंज :
राजगंज थाना क्षेत्र के हरिजन टोला निवासी इलेक्ट्रॉनिक मिस्त्री रमेश कुमार दास (24) ने एक अजूबा डिटेक्टर ड्रोन बनाया है. उनका दावा है कि दुश्मनों द्वारा छिपा कर रखी विस्फोटक सामग्री को खोज निकालने में यह डिटेक्टर ड्रोन सफल हो सकता है. रमेश की इच्छा है कि उसके बनाये इस डिटेक्टर ड्रोन का प्रयोग भारतीय सेना करे. रमेश के अनुसार : करीब वर्ष भर की कड़ी मेहनत के बाद उसके सपनों का डिटेक्टर ड्रोन बन कर तैयार हुआ है. इसमें लगभग 40 हजार रुपये की लागत लगी है.

रमेश दास ने बताया कि उसके बनाये ड्रोन की खासियत है कि इसमें दो किलोमीटर की दूरी पर छिपा कर रखे हुए किसी भी तरह के विस्फोटक सामग्री को ढूंढ़ निकालने की क्षमता है. साथ ही, यह ड्रोन एक किलोग्राम वजनी विस्फोटक अथवा अन्य किसी प्रकार की सामग्री निश्चित ठिकाने तक पहुंचा कर वापस लौट सकता है. इस ड्रोन की यह भी विशेषता है कि यह बदलते मौसम की जानकारी भी दे सकता है. खुली जगह पर दो किलोमीटर की दूरी व ऊंचाई तक उड़ान भरने की क्षमता इसमें है. रमेश ने बताया कि इस ड्रोन में उसने जीपीएस भी लगाया है, जिससे उसके लोकेशन का पता चल सकता है. उसमें लगे मौसम डिटेक्टर बदलते मौसम की जानकारी दे सकता है. इस ड्रोन के अगल-बगल कोई प्राणी पहुंचेगा, तो इसमें लगे आइआर सेंसर इसकी जानकारी ऑपरेटर को देगा. इसमें लगे एफपीवी कैमरा से ऑपरेटर अपने मोबाइल पर ही इसे देख सकता है कि ड्रोन अभी कहां है. यह ड्रोन रमेश के बनाए रिमोट से संचालित होता है. इसका वजन लगभग एक किलोग्राम है.

अर्थाभाव में मैट्रिक से अधिक नहीं पढ़ पाया: रमेश ने बताया कि उसने मैट्रिक की परीक्षा के बाद आगे की पढाई पारिवारिक अभाव में नहीं कर पाया था. इसके बाद उसकी रुचि इलेक्ट्रॉनिक काम की ओर हो गयी. उसके पिता दशरथ दास भी इलेक्ट्रॉनिक मिस्त्री है. उसकी दुकान राजगंज लाल बाजार में है.

निर्माण में लगी सामग्री

डिटेक्टर ड्रोन के निर्माण में वायरिंग पाइप, निप्पो बैट्री, बीएल डीसी मोटर, इएससी स्पीड कंट्रोलर, ट्रांसमीटर, रिसीवर, वायर, प्रोपेलर, जीपीएस, वेदर डिटेक्टर, आइआर, सेंसर, एफपीवी कैमरा, एलइडी आदि का प्रयोग किया गया है.

पहले भी बना चुके हैं ड्रोन

रमेश ने बताया कि उसने अपने प्रयास से रोबोटिक हैंड, आरसी कार, 250 ड्रोन, हेक्सा काॅप्टर इत्यादि भी बनाया है. रमेश के अनुसार उसके घर व दुकान पर लगी इलेक्ट्रॉनिक सामग्री जैसे पंखा, बल्ब, इन्वर्टर, टीवी आदि उसके अपने मोबाइल से कंट्रोल होते हैं, ऐसा कंट्रोलर उसने बनाया है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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