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शहरवासियों पर अभी से ही चढ़ रही है खुमारी
सिलीगुड़ी के फिजा में घुल रहा होली का रंग राजस्थानी फाल्गुनी फुहारों से खालपाड़ा हुआ राजस्थानमय मस्तमौलों की टोली द्वारा परंपरागत वेशभूषा में नृत्य-गीत सिलीगुड़ी. मस्ती का त्योहार होली के अब तीन चार दिन ही शेष बचे हैं. ऐसे में सिलीगुड़ी के फिजा में होली का रंग घुलने लगा है और शहरवासियों पर इसकी खुमारी […]
सिलीगुड़ी के फिजा में घुल रहा होली का रंग
राजस्थानी फाल्गुनी फुहारों से खालपाड़ा हुआ राजस्थानमय
मस्तमौलों की टोली द्वारा परंपरागत वेशभूषा में नृत्य-गीत
सिलीगुड़ी. मस्ती का त्योहार होली के अब तीन चार दिन ही शेष बचे हैं. ऐसे में सिलीगुड़ी के फिजा में होली का रंग घुलने लगा है और शहरवासियों पर इसकी खुमारी भी अभी से ही चढ़ने लगी है. राजस्थानी फाल्गुनी फुहारों से शहर का खालपाड़ा इलाका राजस्थानमय हो रहा है. दिन ढलते ही ‘और रंग दे रे, रसिया और रंग दे, होलिया में उड़ रे गुलाल, कहियो रे मंगेतर, पल्लो लटके गौरी को पल्लो लटके, जरा सो उपर ले ले बालमा पल्लो लटके…’ जैसे राजस्थानी होली गीतों से पूरा खालपाड़ा गूंजायमान हो उठता है.
मस्तमौलों की टोलियां ढाप-ढपली, करताल, बंशी के धुन पर परंपरागत वेशभूषा में सजधज कर लोकनृत्य-गीत घूम-घूम कर पेश करते हैं. सिलीगुड़ी के ख्यातिप्राप्त राजस्थानी कलाकार शिबू मोर, सतीश मोर, आलोक गुप्ता की अगुवायी में बीते सप्ताह भर से मस्तमौलों की टीम हर रात खालपाड़ा के अग्रसेन रोड, चौरस्ता, गांधी मैदान, एमजी रोड, एमआर रोड, एसपी मुखर्जी रोड, नेहरू रोड व नयाबाजार इलाके में राजस्थानी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं.
मस्तमौलों की इस टीम में सोनू अग्रवाल, राहुल केड़िया, उमंग गुप्ता, ऋषि अग्रवाल, प्रवेश नकीपुरिया समेत तकरीबन दो दर्जन से भी अधिक मारवाड़ी समुदाय के नवयुवक शामिल हो रहे हैं. साथ ही होली से सप्ताह, दो सप्ताह पहले हर रात को फाल्गुन उत्सव मनाने की राजस्थान की वर्षों पुरानी परंपरागत रिवाज को सिलीगुड़ी में मारवाड़ी समाज का यह मस्तमौला टीम आज भी बरकरार रखे हुए है.
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