स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग की उदासीनता की वजह से ही यह गड़बड़ी हो रही है. सापनीकला जंगल में कई कीमती पेड़ काट दिये गये हैं. रात के अंधेरे में पेड़ों को काटकर चिराई के लिए उसे आरा मिलों में लाया जाता है. इतना ही नहीं, डुवार्स से भी अवैध लकड़ियां यहां मंगायी जाती हैं. इस्लामपुर महकमा के चोपड़ा, ग्वालपोखर, चाकुलिया, करणदीघी आदि इलाके में कई आरा मिल खुल गये हैं. तमाम आरा मिलों में बड़े पैमाने पर लकड़ियों की कटाई देखी जा सकती है. जंगल के इस प्रकार के दोहन से न केवल आम लोग, बल्कि पर्यावरण प्रेमी भी काफी दुखी हैं. इन लोगों का कहना है कि यदि इसी तरह से वनों की अवैध कटायी जा रही तो पर्यावरण को भारी नुकसान होगा. इन लोगों ने भी लकड़ी माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.
कई मिलों के वैधता पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इन आरा मिलों की वन विभाग के साथ मिलीभगत है. यही वजह है कि इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. लकड़ी माफिया जंगल से लकड़ी काटकर इन आरा मिलों तक पहुंचाते हैं. हालांकि वन विभाग ने मिलीभगत के आरोपों को खारिज कर दिया है. वन विभाग के उत्तर दिनाजपुर जिले के अधिकारी द्विपन दत्त का कहना है कि सभी आरा मिल वैध रूप से चल रहे हैं. इनके ऊपर निगरानी भी नियमित रूप से की जाती है.
दूसरी तरफ आरा मिल मालिकों के संगठन के पूर्व अध्यक्ष निताई साहा ने इस मामले में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. स्थानीय व्यवसायी तथा पश्चिम दिनाजपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव दामोदर अग्रवाल का कहना है कि आरा मिलों में अवैध कारोबार का किसी भी तरह से समर्थन नहीं करना चाहिए. वन विभाग को इस पर निगरानी रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि चोपड़ा के सापनीकला जंगल से बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हो रही है. प्रशासन की निगरानी नहीं होने की वजह से ही लकड़ी माफिया के लोग सक्रिय हैं.