राज्य बीज निगम के सूत्रों ने बताया कि प्राथमिक तौर पर धूपगुड़ी केंद्र में 180 बस्ता और मालकानी हाट में 60 बस्ता बीज लाया गया था. जरूरत पड़ने पर और बीज पहुंचाये जाने की भी बात थी. लेकिन देखा जा रहा है कि इस साल खुला बाजार और उचित दर की दुकानों में बीते सालों के मुकाबले आलू बीज के खरीदार नहीं हैं. आलू व्यवसायी बबलू चौधरी का कहना है कि बहुत से व्यवसायी पंजाब के जालंधर, उत्तर प्रदेश से सर्टिफाइड बीज लेकर आये हुए थे. इन उन्नत बीजों को 2400 से 2600 रुपये क्विंटल में खरीद कर लाया गया था. लेकिन बीजों के खरीदार नहीं मिल रहे हैं.
मजबूरन हमें 300 से 400 रुपये क्विंटल बीज बेचकर गोदाम खाली करना पड़ रहा है. आपूर्ति के मुकाबले आलू बीज की इस साल मांग कम है, ऊपर से नोटबंदी ने समस्या को और बढ़ा दिया. इस बार कई आलू बीज के व्यवसायी एक करोड़ से ऊपर के नुकसान में हैं. इधर राज्य बीज निगम के एक उत्पादन अधिकारी ने बताया कि इस बार आलू बीज की मांग नहीं है. नोटबंदी के चलते किसानों ने बीज नहीं खरीदे. पुराने रखे गये बीजों से ही बड़ी संख्या में किसानों ने काम चलाया. मजबूर होकर उचित मूल्य का आलू तीन रुपये किलो के हिसाब से फार्मर्स क्लबों और कुछ किसानों को दे दिया गया.
धूपगुड़ी के ब्लॉक कृषि उप-निदेशक कार्यालय के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि उचित दर के बीज केंद्र ने मुफ्त में ही आलू के बीच बांट दिये. इसके अलावा कोई उपाय नहीं था. बीज बोने का मौसम निकल जाने के बाद बीज सड़ जायेंगे. नोटबंदी और आलू बीज की अधिक आपूर्ति के कारण इस साल आलू बीज का बाजार पूरी तरह टूट गया है.