इनमें से स्नेहाशीष की उम्र ढाई साल है, जबकि शीला अभी दो साल की है. कड़ी सुरक्षा और भारी इंतजाम के बीच दोनों बाघों को शुक्रवार की शाम बंगाल सफारी के जंगल में लाया गया. इन दोनों वन्य जीवों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके तमाम उपाय किये गये. इनके साथ पशु चिकित्सकों की एक टीम के अलावा दो रेंजर भी कोलकाता से सिलीगुड़ी पहुंचे हैं. बाघों को ठंड न लगे, इसके लिए एयरकंडीशन गाड़ी की व्यवस्था की गई थी. राज्य सरकार की योजना इन दोनों बाघों को लाने के बाद जनवरी महीने से बंगाल सफारी पार्क में टाइगर सफारी शुरू करने की है. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि कुछ दिनों तक दोनों बाघों को यहां कड़ी निगरानी में रखा जायेगा. उसके बाद वन क्षेत्र में दोनों बाघों के लिए अलग से व्यवस्था की जायेगी. ऐसे यह दोनों बाघ मूल रूप से उड़ीसा के नंदन कानन के रहने वाले हैं.
वहीं से दोनों बाघों को पहले कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर में लाया गया और वहां कुछ महीनों रखने के बाद दोनों बाघों को सिलीगुड़ी बंगाल सफारी पार्क भेज दिया गया है. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि यहां टाइगर सफारी का काम खत्म हो गया है. स्टेट जू ऑथोरिटी के सदस्य सचिव बिनोद कुमार यादव ने बताया है कि डॉक्टरों, दो रेंजरों तथा चिड़ियाघर के चार कर्मचारियों की देख-रेख में दोनों बाघों को सिलीगुड़ी भेज दिया गया है. कुछ दिनों तक इन पर कड़ी निगरानी रखी जायेगी और वहां के माहौल में इन्हें ढलने दिया जायेगा.
उसके बाद सफारी पार्क के एक निर्दिष्ट स्थान पर दोनों बाघों को छोड़ दिया जायेगा. इस बीच, इस सफारी पार्क में पांच हाथियों की भी लाने की योजना है. राज्य सरकार बंगाल सफारी पार्क को पूर्ण रूप से जंगल सफारी बनाना चाहती है. हिरण आदि पहले ही यहां मंगा लिये गये हैं. पांच घड़ियालों को भी यहां रखा गया है. इसके अलावा एक गेंडे को भी मंगाया गया है. आने वाले दिनों में और भी जंगली जानवरों को इस सफारी पार्क में लाने की योजना सरकार की है.