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महिला समूह ने तोदे-तांग्ता में शुरू किया होम स्टे
तोदे-तांग्ता (कालिम्पोंग). दार्जिलिंग जिले के कालिम्पोंग महकमा के पैटेन-गोदक, तोदे-तांग्ता, सुरुक जैसे पहाड़ी गांव प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से बेजोड़ हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यहां पर्यटक नहीं आते हैं. यहां का मोबाइल नेटवर्क भी बहुत खराब है. पर्यटकों के रहनेवाले के सरकारी या गैर-सरकारी पर्यटक आवास भी नहीं है. लेकिन अब यहां […]
तोदे-तांग्ता (कालिम्पोंग). दार्जिलिंग जिले के कालिम्पोंग महकमा के पैटेन-गोदक, तोदे-तांग्ता, सुरुक जैसे पहाड़ी गांव प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से बेजोड़ हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यहां पर्यटक नहीं आते हैं. यहां का मोबाइल नेटवर्क भी बहुत खराब है. पर्यटकों के रहनेवाले के सरकारी या गैर-सरकारी पर्यटक आवास भी नहीं है. लेकिन अब यहां के महिला स्वयंसहायता समूहों ने तसवीर बदलने का फैसला लिया है. विश्व पर्यटन दिवस के दिन मंत्री और नेताओं का आसरा छोड़ इन महिलाओं ने अपने ही घरों में होम स्टे टूरिज्म शुरू करने का फैसला लिया है. इसमें उत्तरबंग क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक उनकी मदद कर रहा है.
कालिम्पोंग के झालंग और बिंदु तक में सरकारी और गैर सरकारी पर्यटन सुविधाएं काफी पहले पहुंच चुकी हैं. यहां पर्यटन सेवाएं और उन्नत करने के लिए हाल ही में राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव ने बिंदु और झालंग का दौरा भी किया. लेकिन पैटेन-गोदक, तोदे-तांग्ता, सुरुक जैसे खूबसूरत पहाड़ी इलकों में वह नहीं गये. हाल ही में मुख्यमंत्री भी कालिम्पोंग आयीं, लेकिन वह भी इन इलाकों में नहीं गयीं. इससे उक्त तीनों गांवों के लोग निराश हुए हैं.
उत्तरबंग क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की झालंग शाखा के मैनेजर देवव्रत चक्रवर्ती ने बताया कि तोदे-तांग्ता, पैटेन-गोदक और सुरुक जैसे प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर गांव मन मोह लेते हैं, लेकिन यहां पर्यटकों के रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है. कई ट्रेकिंग रूट हैं. यहां दूसरे राज्यों से भी ट्रेकर आते हैं और भारत, भूटान व सिक्किम के बीच ट्रेकिंग करते हैं. रुकने की कोई जगह न होने के कारण उन्हें टेंट लगाकर रहना पड़ता है. इसे देखेते हुए हमारे बैंक ने 10 लोगों के एक स्वयंसहायता समूह को होम स्टे चलाने के लिए सवा लाख रुपये का कर्ज दिया है. उन्होंने कहा कि अगर इस समूह ने होम स्टे सफलतापूर्वक चला लिया, तो और भी स्वयंसहायता समूहों को हमारा बैंक ऋ ण देगा.
तोदे पाला गांव के स्वयंसहायता समूह की सदस्य शिरिंग डोमा लेप्चा ने बताया कि इन गांवों में रास्ता और दूरसंचार सेवा बहुत खराब है. हम लोग अपने समूह के माध्यम से यहां होम स्टे शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं.
इन गांवों का रास्ता काफी घुमावदार है. एक स्थानीय गाड़ी चालक वांग्दी भूटिया ने बताया कि बारिश के समय इस इलाके के कई पहाड़ी रास्तों पर चलने के लिए गाड़ियों के चक्के पर नारियल की रस्सी लपेटनी पड़ती है. बाकी समय कोई समस्या नहीं रहती. इलाके के ग्राम पंचायत सहकारी कार्यनिर्वाही फ्रांसिस जेवियर राई ने बताया कि दिसंबर में इन गांवों से कंचनजंघा पर्वतशृंखला साफ नजर आती है. भारत-भूटान सीमा पर स्थित जलढाका नदी, सिक्किम के रंगू और लाभार ट्रेकिंग रूट तोदे से पास में ही हैं. तांग्ता बिल्कुल सीमांत है. यह सिक्किम-तिब्बत सीमा के पास है. यहां से नजदीक में स्थित रोचला औरा नेउड़ा वैली नेशनल पार्क को भी देखा जा सकता है. पूजा से लेकर पूरे जाड़े भर यहां का दृश्य बहुत मनोरम होता है.
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