उत्तर दिनाजपुर जिले में कांग्रेस तथा वाम मोरचा के अधीन रहे कई ग्राम पंचायतों पर तृणमूल ने कब्जा कर लिया है. विरोधी दलों के सदस्यों को पार्टी में शामिल कर एक-पर-एक ग्राम पंचायतों पर तृणमूल कब्जा कर रही है. कुछ इसी तरह की कोशिश सिलीगुड़ी तथा जलपाईगुड़ी में भी हो रही है. विधानसभा चुनाव में पूरे राज्य में जहां तृणमूल की जय-जयकार थी, वहीं सिलीगुड़ी में पार्टी औंधे मुंह गिरी है. महकमा के तीनों सीटों पर तृणमूल की हार हुई. सिलीगुड़ी महकमा परिषद पर भी वाम मोरचा का कब्जा है.
इसके अलावा अधिकांश पंचायत समितियों एवं ग्राम पंचायतों पर भी वाम मोरचा अथवा कांग्रेस का कब्जा है. सिलीगुड़ी महकमा परिषद इलाके में तृणमूल की दाल नहीं गल रही है. जबकि दूसरी ओर जलपाईगुड़ी तथा डुवार्स के इलाके में विरोधी दलों के खेमे में पार्टी सेंध लगाने में सफल रही है. जलपाईगुड़ी जिले में कई ग्राम पंचायतों तथा पंचायत समितियों पर तृणमूल ने कब्जा कर लिया है. इसको देखते हुए माकपा नेताओं की नींद उड़ी हुई है. अब माकपा तथा वाम मोरचा के पास जिला परिषद बचाने की चुनौती है.
कमोबेश यही स्थिति विभिन्न ग्राम पंचायतों की है. जिले में कुल 60 ग्राम पंचायत हैं उनमें से अधिकांश में पाला बदलवा कर तृणमूल ने कब्जा कर लिया है. जो कुछ ग्राम पंचायतें अभी भी वाम मोरचा या कांग्रेस के कब्जे में है, वहां तृणमूल सेंध लगाने की तैयारी में है. तृणमूल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पार्टी की निगाहें जलपाईगुड़ी जिला परिषद पर टिकी हुई हैं. सूत्रों ने बताया कि जलपाईगुड़ी जिला परिषद में विरोधी दल के कई सदस्य तृणमूल के संपर्क में हैं.
कई सदस्यों को तृणमूल में शामिल किये जाने की तैयारी चल रही है. तृणमूल की इस रणनीति से माकपा नेता परेशान हैं. एक-पर-एक ढहते गढ़ ने माकपा नेताओं की नींद उड़ा दी है. माकपा सहित वाम मोरचा तथा कांग्रेस के नेता किसी भी प्रकार से जलपाईगुड़ी जिला परिषद को बचाना चाहते हैं. जिला परिषद की अध्यक्ष नूरजहां बेगम ने तृणमूल की इस रणनीति की आलोचना की है.
उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में जो पार्टी जीत हासिल नहीं कर सकी वह अब दूसरी पार्टी के सदस्यों को तोड़कर सत्ता में आना चाहती है. मतदाता इसे सही तरीके से नहीं लेंगे. माकपा के जिला सचिव सलील आचार्य ने भी इस मामले को लेकर तृणमूल को चुनौती दी है. उन्होंने कहा है कि तृणमूल किसी भी कीमत पर जिला परिषद पर कब्जा नहीं कर पायेगी.