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उत्तरकन्या से ‘बेघर’ मंत्री को मिला नया बसेरा

सिलीगुड़ी: जलपाईगुड़ी जिले के डाबग्राम-फूलबाड़ी के विधायक गौतम देव जब ममता बनर्जी की पहली सरकार में उत्तर बंगाल विकास मंत्री थे, तो राज्य मिनी सचिवालय उत्तरकन्या तथा हिलकार्ट रोड स्थित उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय विवेकानंद भवन पर उनकी अनुमति के बगैर एक पत्ता तक नहीं खड़कता था. इस बार समीकरण बदल गया है. गौतम देव […]

सिलीगुड़ी: जलपाईगुड़ी जिले के डाबग्राम-फूलबाड़ी के विधायक गौतम देव जब ममता बनर्जी की पहली सरकार में उत्तर बंगाल विकास मंत्री थे, तो राज्य मिनी सचिवालय उत्तरकन्या तथा हिलकार्ट रोड स्थित उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय विवेकानंद भवन पर उनकी अनुमति के बगैर एक पत्ता तक नहीं खड़कता था. इस बार समीकरण बदल गया है. गौतम देव की जगह कूचबिहार जिले के नाटाबाड़ी के विधायक रबीन्द्रनाथ घोष ममता बनर्जी की दोबारा बनने वाली सरकार में उत्तर बंगाल विकास मंत्री हैं. जबकि गौतम देव को पर्यटन मंत्री बनाया गया है.
उत्तर बंगाल विकास मंत्री रहते गौतम देव का अधिकांश वक्त सिलीगुड़ी में ही बीतता था जिसकी वजह से उत्तरकन्या एवं उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय भवन में अपने कार्यालय में हमेशा ही जाते थे. यहां बता दें कि वर्ष 2011 में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कुछ महीने बाद ही उत्तरकन्या बनाने का ऐलान कर दिया था. इसका निर्माण काम पूरा होने के बाद एक तरह से कहें तो सजाने-संवारने का पूरा काम गौतम देव ने किया. उन्होंने न केवल उत्तरकन्या, बल्कि हिलकार्ट रोड स्थित एनबीडीडी के मुख्यालय विवेकानंद भवन को भी सजाया-संवारा. इसे एक अजीब इत्तेफाक कह सकते हैं कि इन दोनों ही भवनों में अब गौतम देव के लिए कार्यालय तक नहीं है. एक तरह से कहें तो उनका इन दोनों भवनों में आना-जाना बंद हो गया है. इस बीच, मंत्री गौतम देव ने अपने लिए राज्य सरकार के होटल मैनाक टूरिस्ट लॉज परिसर में नये कार्यालय का निर्माण करवाया है.

सोमवार को उन्होंने इस कार्यालय का उद्घाटन भी किया. इस दौरान संवाददाताओं ने उत्तरकन्या तथा एनबीडीडी को लेकर उनको कुरेदने की कोशिश की. पर्यटन मंत्री ने माना कि उत्तरकन्या में उनके कार्यालय की व्यवस्था नहीं है. इसलिए उन्होंने अपने लिए यहां एक नये कार्यालय का निर्माण कराया है. पहले उनके पास उत्तर बंगाल विकास मंत्री के रूप में सिर्फ उत्तर बंगाल की जिम्मेदारी थी, लेकिन अब पर्यटन मंत्री के रूप में पूरे राज्य को सजाना-संवारना उनका काम है. कोलकाता में वह नवान्न स्थित अपने कार्यालय में रहेंगे, जबकि उत्तर बंगाल अथवा सिलीगुड़ी दौरे के दौरान इस नये कार्यालय का प्रयोग करेंगे. हालांकि वह उत्तरकन्या में अपने लिए एक कार्यालय चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर वह राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी बात करेंगे. श्री देव ने कहा कि जिस समय राज्य मिनी सचिवालय का निर्माण हुआ, उस समय वहां 120 सरकारी कार्यालय बनाने को मंजूरी मिली थी. इसमें पर्यटन विभाग शामिल नहीं है. इसी वजह से उत्तरकन्या में उन्हें कार्यालय उपलब्ध नहीं कराया गया है.

उत्तर बंगाल के अधिकतर मंत्री कर रहे हैं कार्यालय की मांग
राज्य मिनी सचिवालय उत्तरकन्या की मांग इन दिनों काफी बढ़ गई है. वन मंत्रालय से लेकर आदिवासी विकास मंत्रालय के मंत्री यहां अपने लिए कार्यालय की मांग कर रहे हैं. इतना ही नहीं, उत्तर बंगाल से अधिकांश मंत्री यहां अपने लिए कार्यालय चाह रहे हैं. वन मंत्री विनय कृष्ण बर्मन, आदिवासी विकास मंत्री जेम्स कुजूर के अलावा बच्चू हांसदा आदि यहां अपने लिए कार्यालय चाह रहे हैं. और तो और, आदिवासियों के विकास के लिए बने टास्क फोर्स के अध्यक्ष तथा आदिवासी विकास परिषद नेता बिरसा तिरकी ने भी अपने लिए कार्यालय की मांग की है. श्री तिरकी आदिवासियों के विकास के लिए बने टास्क फोर्स के अध्यक्ष हैं. पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि कार्यालय नहीं होने से उन्हें काम करने में परेशानी हो रही है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलकर उत्तरकन्या में अपने लिए एक कार्यालय की मांग करेंगे.

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