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सियासत: कभी खासमखास रहे गोलाम रब्बानी को बनाया मंत्री, दीपा को घेरने के लिए ममता बनर्जी ने खेला मास्टर स्ट्रोक

कालियागंज. उत्तर दिनाजपुर जिले से कोलकाता के भवानीपुर जाकर तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी को चुनौती देना लगता है कांग्रेस की हेवीवेट दीपा दासमुंशी को महंगा पड़ गया है. चुनाव में उनकी बुरी तरह से हार हुई और राज्य में एक बार फिर से तृणमूल का साम्राज्य कायम हो गया. ममता बनर्जी दोबारा राज्य की मुख्यंत्री […]

कालियागंज. उत्तर दिनाजपुर जिले से कोलकाता के भवानीपुर जाकर तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी को चुनौती देना लगता है कांग्रेस की हेवीवेट दीपा दासमुंशी को महंगा पड़ गया है. चुनाव में उनकी बुरी तरह से हार हुई और राज्य में एक बार फिर से तृणमूल का साम्राज्य कायम हो गया. ममता बनर्जी दोबारा राज्य की मुख्यंत्री बनी हैं. राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार ममता बनर्जी ने दीपा दासमुंशी को राजनीतिक रूप से अलग-थलग करने की पूरी तैयारी कर ली है.

चुनाव से पहले ही माकपा नेता सूर्यकांत मिश्र के साथ ही दीपा दासमुंशी भी ममता के निशाने पर थी. नारायणगढ़ से सूर्यकांत मिश्र को चुनाव हराने के लिए ममता बनर्जी ने एड़ी-चोटी की जोर लगा दी थी और आखिरकार चुनाव हार कर सूर्यकांत मिश्र एक तरह से राजनीतिक वियावान में चले गये हैं. अब दीपा दासमुंशी की बारी है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से ही ममता बनर्जी ने दीपा दासमुंशी को घेरने की तैयारी कर ली थी.

रायगंज लोकसभा सीट पर तृणमूल ने दीपा दासमुंशी के पति प्रियरंजन दासमुंशी के भाई को मैदान में उतार दिया था. देवर-भाभी की लड़ाई में तब माकपा के मोहम्मद सलीम बाजी मार ले गये थे. रायगंज से वहीं चुनाव जीतने में सफल रहे. ममता बनर्जी की पार्टी भले ही यहां से चुनाव नहीं जीत सकी, लेकिन दीपा दासमुंशी को हरा जरूर दिया. दीपा दासमुंशी दोबारा लोकसभा नहीं पहुंच सकीं. उसके बाद इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भवानीपुर में ममता को चुनौती दी. यहां भी उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा है. दीपा दासमुंशी उत्तर दिनाजपुर जिले के ग्वालपोखर सीट से कभी विधायक हुआ करती थीं. इस बार के चुनाव में ग्वालपोखर सीट से तृणमूल कांग्रेस के गोलाम रब्बानी चुनाव जीते हैं. ममता बनर्जी ने उन्हें मंत्री भी बना दिया है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दीपा दासमुंशी को पूरी तरह से राजनीतिक रूप से दरकिनार करने के ही ममता ने यह चाल चली है.

मंत्री के रूप में गोलाम रब्बानी के पास काम करने का मौका है और यदि वह अपने इलाके में बड़े पैमाने पर विकास कार्य करने में सफल रहे तो दीपा दासमुंशी की वापसी मुश्किल है. इस बीच, गोलाम रब्बानी के मंत्री बनने के साथ ही उत्तर दिनाजपुर जिले खासकर ग्वालपोखर में कांग्रेस के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है. माना जा रहा है कि ग्वालपोखर पंचायत समिति से शीघ्र ही कांग्रेस का कब्जा खत्म हो जायेगा. पंचायत समिति के कई सदस्य पाला बदलने को तैयार हैं.

यह लोग तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये हैं. एक बार इन पंचायत सदस्यों के पाला बदलने के बाद ग्वालपोखर पंचायत समिति पर तृणमूल का कब्जा हो जायेगा. दूसरी तरफ जिले के कांग्रेस नेता यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं. कालियागंज के कांग्रेस विधायक मोहित सेनगुप्ता का कहना है कि पूरे जिले में कांग्रेस की मजबूत स्थिति है. राजनीतिक रूप से दीपा दासमुंशी को कोई दरकिनार नहीं कर सकता.

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