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विस चुनाव में अपनों ने ही डुबोयी भुटिया की लुटिया

जिला अध्यक्ष के वार्ड में सबसे अधिक नुकसान कई बड़े नेताओं पर साधा निशाना मुख्यमंत्री ममता को सौंपेंगे रिपोर्ट सिलीगुड़ी मॉडल की सफलता में अपनों पर ही लगाया मिलीभगत का आरोप पार्टी की खराब स्थित पर जतायी चिंता, ममता से कदम उठाने की मांग सिलीगुड़ी : राज्य विधानसभा चुनाव में पूरे राज्य में भले ही […]

जिला अध्यक्ष के वार्ड में सबसे अधिक नुकसान
कई बड़े नेताओं पर साधा निशाना
मुख्यमंत्री ममता को सौंपेंगे रिपोर्ट
सिलीगुड़ी मॉडल की सफलता में अपनों पर ही लगाया मिलीभगत का आरोप
पार्टी की खराब स्थित पर जतायी चिंता, ममता से कदम उठाने की मांग
सिलीगुड़ी : राज्य विधानसभा चुनाव में पूरे राज्य में भले ही तृणमूल कांग्रेस की जय-जयकार हुई हो, लेकिन उत्तर बंगाल में मालदा तथा दार्जिलिंग जिले में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. इन दोनों जिलों में तृणमूल का पूरी तरह से सफाया हो गया है. प्रख्यात फुटबॉलर तथा सिलीगुड़ी से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार वाइचुंग भुटिया को भी करारी हार का सामना करना पड़ा है. अब जब चुनाव परिणाम सामने है, तो उसको लेकर जिला तृणमूल में घमासान मचा हुआ है.
इस हार से तिलमिलाये वाइचुंग भुटिया ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर नाम लिये बगैर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने अपनी हार के कारणों को तृणमूल पार्षदों के अधीन रहे वार्डों में बढ़त नहीं मिलने को बताया है. उन्होंने एक आंकड़ा भी मीडिया को जारी किया. इससे साफ है कि वाइचुंग भुटिया की लुटिया अपनों ने ही डुबोयी है. सिलीगुड़ी विधानसभा केन्द्र के अधीन नगर निगम के कुल 33 वार्ड आते हैं. इनमें से 10 वार्डों पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है.इन 10 वार्डों में से 7 वार्डों में वाइचुंग भुटिया पिछड़ गये हैं.
श्री भुटिया ने कहा कि उन्हें विरोधियों के अधीन रहे वार्डों से तो बढ़त मिली, लेकिन अपने ही पार्षदों के वार्डों से बढ़त बनाने में कामयाब नहीं रहे. हालांकि उन्होंने किसी भी पार्षद का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बोलने के अंदाज से स्पष्ट था कि वह अपनी ही पार्टी के पार्षदों से बेहद नाराज हैं. सबसे अधिक परेशानी उन्हें जिला तृणमूल अध्यक्ष तथा वार्ड नंबर 20 के पार्षद रंजन सरकार उर्फ राणा के वार्ड को लेकर हुई.
इस वार्ड में वाइचुंग भुटिया अपने विरोधी अशोक भट्टाचार्य के मुकाबले 643 वोट से पिछड़ गये.एक अन्य तृणमूल पार्षद प्रदीप गोयल के वार्ड नंबर 9 में भी वाइचुंग भुटिया 345 वोटों से पिछड़ गये हैं. प्रशांत चक्रवर्ती के वार्ड 27 में भी 44 वोट से वह पिछड़े हुए हैं. इन तीनों पार्षदों को छोड़ दें तो तृणमूल के चार अन्य पार्षदों के वार्ड में भले ही वाइचुंग भुटिया को बढ़त मिली हो, लेकिन वर्ष 2015 के नगर निगम चुनाव के मुकाबले वोट मिलने की संख्या में काफी कमी है
इसमें नान्टू पाल, उनकी पत्नी मंजूश्री पाल, कृष्णचन्द्र पाल जैसे दिग्गजों के वार्ड का नाम शामिल है. और तो और, मंत्री गौतम देव की पत्नी शुक्ला देव के वार्ड में भी नगर निगम के मुकाबले विधानसभा चुनाव में तृणमूल को कम वोट मिला है. नान्टू पाल की पत्नी मंजूश्री पाल वार्ड 11 से पार्षद हैं. नगर निगम चुनाव में तृणमूल को यहां 1071 वोट मिला था, जबकि इस बार विधानसभा चुनाव में वाइचुंग भुटिया को 693 वोट ही मिला. नगर निगम तथा विधानसभा चुनाव में मिले मतों में 378 वोट का अंतर है. यहां माकपा उम्मीदवार के मुकाबले वाइचुंग को मात्र 15 वोटों की ही बढ़त मिली है. यही स्थिति नान्टू पाल के वार्ड नंबर 12 की भी है.
2015 के नगरपालिका चुनाव में तृणमूल को 1021 वोट मिले थे, जबकि विधानसभा में यह संख्या मात्र 959 ही रही. यहां मात्र 135 वोट की बढ़त ही वाइचुंग ले सके. गौतम देव की पत्नी शुक्ला देव वार्ड नंबर 17 से तृणमूल पार्ष हैं.
इस वार्ड में भी नगर निगम चुनाव के मुकाबले विधानसभा चुनाव में तृणमूल को कम वोट मिला है. नगर निगम चुनाव में जहां शुक्ला देव 1709 वोट पाने में सफल रही थी, वहीं विधानसभा चुनाव में इस वार्ड से वाइचुंग भुटिया 1664 वोट ही पा सके. तृणमूल के एक अन्य दिग्गज तथा वार्ड नंबर 23 के पार्षद कृष्णचन्द्र पाल के वार्ड में भी नगर निगम चुनाव के मुकाबले विधानसभा चुनाव में तृणमूल को कम वोट मिला. वर्ष 2015 के नगर निगम चुनाव में कृष्णचन्द्र पाल 2560 वोट पाने में सफल रहे थे. जबकि विधानसभा चुनाव में वह वाइचुंग को अपने वार्ड से 2333 वोट ही दिला सके. जाहिर है इन आंकड़ों ने वाइचुंग भुटिया को काफी निराश किया है. एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा है कि वह इसके लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा रहे हैं. उन्होंने सही तथ्य मीडिया तथा आम लोगों के सामने रखा है. जनता तथा पार्टी को इस पर निर्णय लेना है.
वाइचुंग ने आगे कहा कि वह शीघ्र ही पार्टी सुप्रीमो तथा राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलेंगे और उन्हें एक रिपोर्ट सौंपेंगे. संभवत: 24 तारीख को मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात होगी.
एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि वह किसी की शिकायत करने ममता बनर्जी के पास नहीं जा रहे हैं. सिलीगुड़ी में पार्टी के अंदर जो समस्या है तथा जो तथ्य है, वह मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे. आगे का निर्णय ममता बनर्जी को लेना है. अपने जिला नेताओं पर एक गंभीर प्रश्चनचिन्ह खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में कांग्रेस और माकपा का गठबंधन पूरी तरह से फेल हो गया है. जिस अशोक मॉडल की बात की जाती है, वह पूरे राज्य में विफल है. सिर्फ सिलीगुड़ी में ही यह मॉडल क्यों सफल है, इस पर विचार होना आवश्यक है. ऐसा भी हो सकता है कि तृणमूल तथा भाजपा के लोग अशोक भट्टाचार्य के साथ मिलीभगत कर इस मॉडल को सफल करने में लगे हुए हों. वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इसकी भी जांच की मांग करेंगे.
मेयर अशोक भट्टाचार्य के वार्ड में मिली बढ़त
वाइचुंग भुटिया को सबसे अधिक नाराजगी इस बात की है कि वह विरोधियों के वार्डों में तो अच्छा-खासा वोट ले आये, लेकिन अपने ही पार्षदों के वार्डों से निराश होना पड़ा. चुनाव में उनके प्रतिद्वंदी तथा सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य के वार्ड में भी वाइचुंग बड़ी बढ़त बनाने में कामयाब रहे. अशोक भट्टाचार्य वार्ड नंबर छह से पार्षद हैं. इस वार्ड में जहां अशोक भट्टाचार्य को 1030 वोट मिले, वहीं वाइचुंग 2006 वोट पाने में सफल रहे.
तमाम नेताओं ने बनायी दूरी : वाइचुंग भुटिया से तृणमूल कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेताओं ने दूरी बना ली है. आज जब वह संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे तो उनके साथ तृणमूल कांग्रेस के प्रतुल चक्रवर्ती ही दिखे. उनके अलावा कोई भी दिग्गज वाइचुंग भुटिया के साथ नहीं थे. नान्टू पाल, कृष्णचन्द्र पाल सहित जिला अध्यक्ष राणा सरकार भी नदारद दिखे.

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