सिलीगुड़ी: राज्य में बाल मजदूरी व बाल विवाह के आंकड़े चिंताजनक हैं. यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रेन इमरजेंसी फंड (यूनिसेफ) के सर्वे 2012-13 के मुताबिक, भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में सबसे अधिक 31 प्रतिशत बच्चे बाल विवाह का शिकार हो रहे हैं. बाल विवाह और बाल मजदूरी को रोकने के लिये चाइल्ड इन इन्सटीच्यूट (सिनी) ने प्रशासन के साथ मिलकर कमर कसी है. सिलीगुड़ी के लोगों को इस बारे में जागरूक करने के लिए कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर की जयंती पर निगम के 18 नंबर वार्ड में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. वार्ड में चाइल्ड प्रोटेक्शन कमिटी का गठन भी किया गया.
भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय के अनुसार, उत्तर बंगाल के मालदा, डुवार्स के अलावा दक्षिण बंगाल के मुर्शिदाबाद, बीरभूम, पुरुलिया आदि इलाकों में बाल विवाह की संख्या काफी अधिक है. कार्यक्रम में उपस्थित समाज सेवी सोमनाथ चटर्जी ने बताया कि अब हमें सतर्क होने की जरूरत है. बाल विवाह अपराध है और इसके विरुद्ध नागरिकों को जागरूक करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बाल विवाह सिर्फ उन दो नाबालिगों को नहीं, बल्कि उनकी अगली पीढ़ी को भी बर्बाद कर देता है. कम उम्र में विवाह होने से बालिका या बालक पूरी उम्र शारीरिक कष्ट से उबर नहीं पाते. मानसिक रूप से भी अक्षम सिद्ध होते हैं. ऐसे कई मामले सामने आये हैं जिसमें जच्चा व बच्चा दोनों की मौत प्रसव के दौरान हो जाती है.
सिनी के उत्तर बंगाल शाखा के संयोजक शेखर साहा ने बताया कि रवीन्द्र जयंती के अवसर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम बाल विवाह और बाल मजदूरी के खिलाफ नागरिकों को जागरूक करने के लिये कराया गया. उन्होंने कहा कि 18 नंबर वार्ड की तरह निगम के सभी वार्डों में चाइल्ड प्रोटेक्शन कमिटी गठित की जायेगी. सिलीगुड़ी के कई इलाकों में होटलों, गैरेज, फास्ट फूड की दुकानों आदि में बाल मजदूरों को देखा जाता है. लोग गैरेज में उसी से अपना काम करवाते हैं, होटल में खाना-पानी मंगवाते हैं, लेकिन इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाते. प्रशासन से पहले हमें नींद से जागना होगा. इस कार्यक्रम में पुलिस की ओर से सिलीगुड़ी थाने के एसआइ अरविंद पंडित, जिला बाल सुरक्षा कमिटी के मनोहर हसन, आईसीडीएस के सुपरवाईजर गीता चाकी, वार्ड पार्षद निखिल सहनी व अन्य गणमान्य उपस्थित थे.