सिलीगुड़ी. उत्तर बंगाल का अघोषित राजधानी समझे जाने वाला सिलीगुड़ी शहर पूरे राज्य में सबसे महंगे शहरों में शुमार है. यह खुलासा एक गैर-सरकारी संगठन एस्पी रिसर्च द्वारा किये गये सर्वे से हुआ है. इस संगठन ने राज्य के लोगों से एक ऑनलाइन बुकिंग कराई थी. इसी के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया है कि सिलीगुड़ी पूरे राज्य में सबसे अधिक महंगे शहरों में शुमार है.
इस संगठन के प्रवक्ता सुब्रत रे ने बताया है कि पूरे राज्य में पांच हजार लोगों से ऑन लाइन वोटिंग करायी गई. मुख्य रूप से सस्ते और महंगे शहरों से संबंधित पचास प्रश्न सर्वे में शामिल होने वाले लोगों से पूछे गये थे. जिसमें मुख्य जोर सस्ते शहरों को लेकर था. सर्वे के अनुसार 4.9 प्रतिशत लोगों ने माना कि सिलीगुड़ी राज्य में सस्ता शहर है.
जबकि सबसे सस्ते शहरों के मामले में बारासात नंबर वन पर है. 36 प्रतिशत लोगों ने माना है कि बारासात सस्ता शहर है. दूसरे स्थान पर दक्षिण बंगाल का सिउरी शामिल है. 28.6 प्रतिशत लोगों ने सिउरी को सस्ता माना है. तीसरे स्थान पर दक्षिण बंगाल के ही बर्दमान का नाम है. 21 प्रतिशत लोगों ने बर्दमान को सस्ता शहर माना है. इस सर्वे को संचालित करने वाले संगठन एस्पी रिसर्च की निदेशक बेबी राय ने बताया है कि उत्तर बंगाल के अधिकांश शहर महंगे साबित हुए हैं. सस्ते शहरों के मामले में पहले तीन स्थानों पर दक्षिण बंगाल के शहर हैं. उत्तर दिनाजपुर जिले का बालुरघाट चौथे स्थान पर है. 16.5 प्रतिशत लोगों ने ही बालुरघाट को सस्ता शहर माना है.
उत्तर बंगाल में बालुरघाट के बाद जलपाईगुड़ी को 9.4 प्रतिशत लोगों ने सस्ता शहर माना है. जहां तक दार्जिलिंग जिले की बात है तो पर्वतीय क्षेत्र सस्ते शहरों की सूची में शामिल नहीं है. श्रीमती राय ने कहा कि दार्जिलिंग को मात्र 0.4 प्रतिशत लोगों ने ही सस्ता शहर माना है. यही स्थिति उत्तर बंगाल में अलीपुरद्वार, रायगंज तथा मालदा की रही है.
इन सभी शहरों को मात्र 0.4 प्रतिशत लोगों ने ही सस्ता शहर माना है. उत्तर बंगाल के प्रमुख शहरों में शुमार कूचबिहार भी महंगा शहर है. महंगाई के मामले में यह शहर सिलीगुड़ी से भी आगे है. मात्र 3.1 प्रतिशत लोगों ने ही कूचबिहार को सस्ता शहर माना है. श्रीमती राय ने आगे कहा है कि दक्षिण बंगाल के चिचुरा को भी सस्ता शहर माना जा सकता है. 12.5 प्रतिशत लोगों ने इस शहर को सस्ता माना है. उत्तर बंगाल में मात्र बालुघाट को ही सस्ते शहरों की सूची में शामिल किये जाने को लेकर उन्होंने कहा कि इसके कई कारण हो सकते हैं. दक्षिण दिनाजपुर जिला पिछड़ा जिला माना जाता है. बालुरघाट इसी जिले का मुख्यालय है. इस शहर में पर्यटकों का आगमन नहीं के बराबर है. स्थानीय लोगों से ही शहर की इकोनॉमी चलती है. सबसे मजेदार बात यह है कि देश की आजादी के तीन दिन बाद बालुरघाट भारत में शामिल हुआ था. उन्होंने कहा कि आजादी के समय बालुरघाट को पूर्वी पाकिस्तान में रखा गया था. 18 अगस्त 1947 को इसे भारत में शामिल किया गया.