स्वाभाविक तौर पर इस बार के चुनाव में भी आम लोगों की नजर हेवीवेट उम्मीदवारों की ओर टिकी हुई है. कांग्रेस के जिला अध्यक्ष शंकर मालाकार भी हेवीवेट उम्मीदवारों में शुमार हैं. वर्ष 2011 का विधानसभा चुनाव उन्होंने नवगठित माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी विधानसभा सीट से लड़ा था और जीतने में भी कामयाब रहे थे. इस बार भी माना जा रहा है कि श्री मालाकार इसी सीट से अपनी किश्मत आजमायेंगे. हालांकि अभी न तो चुनाव की औपचारिक घोषणा हुई है और न ही विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के नाम तय हुए हैं. फिर भी ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस अपने सभी विधायकों को फिर से टिकट देगी. इसी को ध्यान में रखते हुए माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी सीट से शंकर मालाकार का लड़ना तय माना जा रहा है.
इस विधानसभा सीट का गठन वर्ष 2011 में ही हुआ है. इस नये सीट से तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन कर कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव लड़े और नये-नये विधायक बनने में कामयाब रहे. वर्ष 2011 के चुनाव में शंकर मालाकार यहां से कांग्रेस तथा तृणमूल कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार थे. उन्होंने इस सीट से छह हजार 833 वोट से जीत हासिल की थी. उन्होंने वाम मोरचा के झरेन राय को हराया था. श्री मालाकार जहां 74 हजार 334 वोट पाने में कामयाब रहे थे, वहीं झरेन राय 67 हजार 501 वोट पाने में ही सफल रहे. शंकर मालाकार को 45.10 प्रतिशत वोट मिला था, जबकि झरेन राय 41.3 प्रतिशत वोट पाने में सफल रहे थे.
तीसरे स्थान पर अलग कामतापुर राज्य की मांग के लिए आंदोलन कर रहे केपीपी नेता अतुल राय रहे थे. वह भले ही नाम से तीसरे स्थान पर रहे हों, लेकिन वह मत प्रतिशत में कांग्रेस तथा वाम मोरचा के मुकाबले काफी पीछे थे. कुल 7.23 प्रतिशत के हिसाब से वह मात्र 11 हजार 906 वोट पाने में सफल रहे थे. भाजपा के असीम सरकार 7 हजार 351 (4.46 प्रतिशत) वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे. भाकपा माले के दीपू हालदार 2.66 प्रतिशत की दर से तीन हजार 391 वोट ही पा सके थे. जाहिर तौर पर इस बार का चुनाव वर्ष 2011 के मुकाबले पूरी तरह से भिन्न है. पूरा राजनीतिक समीकरण ही बदल गया है.
पिछली बार वाम मोरचा को चुनौती देने के लिए कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच गठबंधन था और इस बार तृणमूल को चुनौती देने के लिए कांग्रेस और माकपा के बीच गठबंधन करीब-करीब तय है. स्वाभाविक तौर पर इस बार के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार भी मैदान में होंगे. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राणा सरकार का नाम हवा में है. माना जा रहा है कि वही यहां से चुनाव लड़ सकते हैं. यदि ऐसा होता है, तो शंकर मालाकार का सीधा मुकाबला तृणमूल के राणा सरकार के साथ होगा. इसके साथ ही यदि कांग्रेस और माकपा के बीच गठबंधन होता है तो वर्ष 2011 में वाम मोरचा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाले झरेन राय को अपने लिए किसी अन्य ठिकाने की तलाश करनी होगी.