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अपनी ही सुरक्षा के लिए तरस रहे हैं उत्तरकन्या के सुरक्षाकर्मी
कई साल बाद भी नहीं हुआ है बैरक का निर्माण, धूप और बारिश में होती है भारी परेशानी सिलीगुड़ी : राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी सरकार ने उत्तर बंगाल के लोगों की सुविधा के लिए सिलीगुड़ी के निकट राज्य मिनी सचिवालय “उत्तरकन्या” का निर्माण करवाया है़ यहां हर दिन […]
कई साल बाद भी नहीं हुआ है बैरक का निर्माण, धूप और बारिश में होती है भारी परेशानी
सिलीगुड़ी : राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी सरकार ने उत्तर बंगाल के लोगों की सुविधा के लिए सिलीगुड़ी के निकट राज्य मिनी सचिवालय “उत्तरकन्या” का निर्माण करवाया है़
यहां हर दिन ही नेताओं और मंत्रियों की आवाजाही लगी रहती है़ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी जब उत्तर बंगाल के दौर पर आती हैं तो उनकी कोशिश भी यहां आने की होती है़ वह कइ बार आ भी चुकी हैं और मंत्रियों तथा अधिकारियों के साथ कइ बार बैठक भी कर चुकी हैं. जाहिर है बड़े पैमाने पर वीआइपी गतिविधयां होने की वजह से से यहां सुरक्षा के भी तगड़े इंतजाम किये गए हैं. लेकिन हालत यह है कि उत्तरकन्या की सुरक्षा के लिये तैनात सुरक्षाकर्मी के पास अपनी ही सुरक्षा का कोइ ठिकाना नहीं है़
वह स्वयं अपनी सुरक्षा ढ़ूंढ़ रहे हैं. 74 करोड़ की लागत से उत्तरकन्या बनाने के बाद राज्य सरकार के उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय ने सुरक्षा कर्मियों के लिये 22 लाख रूपये की लागत से बैरक बनाने की बात कही थी़ उसके बाद से अबतक सुरक्षा कर्मी बैरक बनने की उम्मीद में दिन गिन रहे हैं.
वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में वाम दलों को सत्ता से खदेड़ कर परिवर्तन की ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल की कमान संभाली. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देशानुसार ही उत्तर बंगाल के लोंगो की सुविधा के लिए सिलीगुड़ी के निकट 74 करोड़ की लागत से उत्तरकन्या नामक एक मिनी सचिवालय का निर्माण कराया गया. उत्तरकन्या की सुरक्षा के लिये 22 सशस्त्र कांन्सटेबल एवं एएसआई की नियुक्ति की गयी है. उसी समय इन सुरक्षा कर्मियों के रहने के लिये टीन से एक सेड बनाया गया था.
तब कहा गया था कि उत्तरकन्या परिसर में ही 22 लाख की लागत से सुरक्षा कर्मियों के लिये बैरक का निर्माण कराया जायेगा. निर्माण कार्य की बात तो छोड़िये सुरक्षा कर्मियों के लिये बनने वाले बैरक का अब तक टेंडर भी नहीं निकला है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुरक्षा कर्मियों के उस झोपड़े की हालत ऐसी हो गयी है कि थेड़ी तेज हवा बहने पर ही उसक टीन पतंग की तरह हवा में उड़कर अन्यत्र चला जाता है. सुरक्षा कर्मी फिर से उस टीन को लाकर किसी तरह बांध कर सिर छुपाते है. इस विषय पर सुरक्षा कर्मियों से पूछने पर उन लोंगो ने कुछ भी नहीं बताया. शायद तबादले के भय से उन लोंगो ने जबान नहीं खोली.
क्या कहते हैं विभागीय सचिव
इस विषय पर उत्तरकन्या के प्रभारी तथा उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय के सचिव बरूण राय से बात करने पर उन्होंने बताया कि सुरक्षा कर्मियों के रहने के स्थान को लेकर वह लोग विचार विचार विमर्श कर रहे हैं. उत्तरकन्या परिसर में ही एक बैरक बनाने की बात है जिसका काम अतिशीघ्र शुरू किया जाना है.
क्या कहते हैं पुलिस कमिश्नर
सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नर मनोज वर्मा ने बताया कि यह तो सरकार का मसला है एवं यह बात सरकार के नजर में भी है. श्री वर्मा ने बताया कि उत्तरकन्या के निकट करीब एक एकड़ जमीन पर बैरक बनाने की बात है. इस एक एकड़ जमीन पर पांच मंजिला इमारत खड़ा किया जाना है़ इस इमारत की तीन मंजिलों को पुलिस बल के लिये एवं दो मंजिलों को उत्तरकन्या के अन्य कार्यालयों के लिए रखे जाने का प्रावधान है.
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