सिलीगुड़ी: किसी भी देश की पहचान उसकी भाषा होती है. कोई भी देश अपनी राष्ट्र भाषा के बिना पूर्ण विकास नहीं कर सकता. भाषा एक दूसरे को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. राष्ट्रीय आंदोलन को हिंदी की वजह से एक नयी दिशा मिली. कश्मीर से कन्याकुमारी तक हिंदी ही सभी भारतीयों को एक दूसरे के साथ जोड़ती है.
हिंदी भाषा के विस्तार की अनंत संभावनाएं हैं. उधार की भाषा से देश का कल्याण कभी नहीं होगा. सोमवार को बीएसएनएल की ओर से आयोजित हिंदी पखवाडे़ के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि कवि करन सिंह जैन ने ये बातें कहीं.
उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब हिंदी इस देश की राष्ट्र भाषा बनेगी. बस इसके लिए इच्छाशक्ति की जरूरत है. कार्यक्रम की अध्यक्षता बीएसएनएल के महाप्रबंधक अरु मय डकुआ ने की. डकुआ ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमें ज्यादा से ज्यादा हिंदी का प्रयोग करना चाहिए. इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में वरिष्ठ शिक्षक अरु ण कुमार त्रिपाठी, उप-महाप्रबंधक छिरिंग डुकपा, सहायक महाप्रबंधक स्वप्ना राय सहित कई गणमान्य उपस्थित थे. कार्यक्रम में संस्था की मैगजीन ‘मंजरी’ का विमोचन किया गया. इसके संपादक एवं हिंदी अधिकारी कमलेश्वरी कुमार ने कहा कि इस बार नये लेखकों को मैगजीन में जगह दी गयी है.