उन्होंने पटाखे फोड़े. बैठक में प्रबंधन की और से मिल के मालिक संजय कजोरिया, मिल के सीइओ कल्याण मित्रा, अबू हसन एवं सुब्रत तोला शामिल हुए, जबकि यूनियनों की और से श्याम गुप्ता, फेकू सिंह, शशि प्रकाश सिंह सहित कुल 11 यूनियनों के प्रतिनिधि मौजूद थे. बैठक में यह तय हुआ कि 29 अगस्त की सुबह मिल खुल जायेगी. साथ ही गेट बाहर किये गये 22 मजदूरों को काम पर वापस लेने की पहल की जायेगी. मिल में उत्पादन शुरू होने पर प्रत्येक मजदूर को 2000 रुपये एडवांस दिये जायेंगे.
यह जूट मिल एक जून से बंद है. इससे मिल के 5000 मजदूर बेरोजगार हो गये थे. 2014 के नवंबर में मिल को तीन शिफ्ट की जगह दो शिफ्ट चलाने को लेकर बवाल हुआ था. मजदूरों ने मिल के मुख्य गेट, डिस्पेंसरी और टाइम ऑफिस में तोड़फोड़ की थी. मिल के तत्कालीन सीइओ शंभु नाथ पाल पर जानलेवा हमला किया गया था. घटना की खबर पाकर अतरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक जोयता बसु के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों पहुच कर स्थिति को नियंत्रित किया था. उसके बाद पुलिस ने धर-पकड़ अभियान चला कर 22 मजदूरों को गिरफ्तार किया था.
उन्हीं 22 मजदूरों को प्रबंधन ने गेट बहार कर दिया था. रिसड़ा नगरपालिका के चेयरमैन व वकील शंकर प्रसाद साव के हस्तक्षेप से उन मजदूरों को जमानत मिली थी, लेकिन प्रबंधन ने उन्हें काम पर लेने से इनकार कर दिया था. उन मजदूरों को काम पर वापस लेने के लिए एक जून से मजदूरों ने हड़ताल शुरू की थी.