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नदिया में कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या हुई कम

कल्याणी : बाल संवर्धन कार्यक्रम के कारण नदिया जिला में कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या में काफी गिरावट आयी है. नादिया जिले में नवंबर तक लगभग 11433 बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे. उनमें से लगभग 250 गंभीर कुपोषण से पीड़ित हैं. इन बच्चों में दो से तीन वर्ष की उम्र के ज्यादा बच्चे हैं. […]

कल्याणी : बाल संवर्धन कार्यक्रम के कारण नदिया जिला में कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या में काफी गिरावट आयी है. नादिया जिले में नवंबर तक लगभग 11433 बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे. उनमें से लगभग 250 गंभीर कुपोषण से पीड़ित हैं. इन बच्चों में दो से तीन वर्ष की उम्र के ज्यादा बच्चे हैं.

2018 नवंबर को कुपोषित पीड़ित बच्चों की संख्या 21 हजार से ज्यादा थी. इस वर्ष लगभग दस हजार बच्चों को कुपोषण से बचाया गया है. नवंबर के सर्वेक्षण के बाद नदिया जिले में 250 बच्चे कुपोषित से पीड़ित पाये गये हैं. जानकारों की माने तो जन्म के समय यदि बच्चे का वजन ढाई किलो हो तो उसे सामान्य माना जाता है.
कम वजन का होने पर उन्हें कुपोषित बच्चा माना जाता है. नदिया जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि जिला में 2017 में बाल समृद्धि कार्यक्रम शुरू किया गया था, जिसके माध्यम से कुपोषण से पीड़ित बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाता है. भले धीमी रफ्तार हो, लेकिन कुपोषण से पीड़ित बच्चों की संख्या में काफी कमी आयी है.
आइसीडीएस परियोजना के जिला परियोजना अधिकारी भास्कर घोष ने कहा कि इस योजना का लाभ मिलने लगा है, कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आयी है. हर महीने हम यह गणना करते हैं. इस वर्ष नवंबर में कुपोषण से पीड़ित बच्चों को सूचीबद्ध किया गया है. यह स्पष्ट है कि पिछले वर्ष से कुपोषित बच्चों की संख्या में इस वर्ष काफी कमी आयी है. हमने कई बच्चों को नादिया जिला प्रशासन द्वारा बाल समृद्धि कार्यक्रम में कुपोषण से बचाया है.
जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि संख्या और कम हो सकती है. हालांकि कई आंगनवाड़ी केंद्रों में स्थायी कर्मचारी या सहायक नहीं है. इसलिए बच्चों की संपूर्ण देखभाल में कमी आयी है. पौष्टिक भोजन से इस समस्या को खत्म करना संभव नहीं है. जागरूकता की जरूरत है. कई अंग श्रमिकों के अनुसार, कई मामलों में बाल कुपोषण का एक कारण माताओं की जागरूकता की कमी है.

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