कालचीनी :15 दिसंबर को विश्व के चाय उत्पादक देशों की ओर से चाय दिवस मनाया जाता है. एक ओर जहां रविवार को देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में विश्व चाय दिवस भव्य रूप से मनाया गया. वहीं सुबह उठते ही लोगों को चाय की चुस्की के लिए उत्कृष्ट चाय उत्पादन की जिम्मेदारी उठाने वाले डुआर्स के अधिकांश चाय श्रमिक अभी भी उन सुविधाओं से वंचित हैं, जिनके वे हकदार हैं. उंगलियों पर चाय कानून को इंगित करके अधिकांश चाय बागान के मालिक दिन-प्रतिदिन श्रमिकों का शोषण कर रहे हैं.
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विश्व चाय दिवस : मूलभूत सुविधाओं से वंचित श्रमिक
कालचीनी :15 दिसंबर को विश्व के चाय उत्पादक देशों की ओर से चाय दिवस मनाया जाता है. एक ओर जहां रविवार को देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में विश्व चाय दिवस भव्य रूप से मनाया गया. वहीं सुबह उठते ही लोगों को चाय की चुस्की के लिए उत्कृष्ट चाय उत्पादन की जिम्मेदारी उठाने वाले डुआर्स के […]
यहां तक कि श्रमिकों का मिलने वाले न्यूनतम सुविधाओं को दिए बगैर बागान मैनेजमेंट की ओर से नाना प्रकार के बहाने बनाए जा रहे हैं. चाय बागान के श्रमिकों को टी अधिनियम के अनुसार आवास दिया जाता है. लेकिन डुआर्स के कई ऐसे चाय बागान है, जहां श्रमिकों को अब तक आवास नहीं मिले और जिन्हें मिले भी हैं, उसका मरम्मत काफी दिनों से नहीं किया जा रहा है.
श्रमिक गर्मी के दौरान कड़ी धूप, वर्षा के समय बारिश और शीत के दौरान कड़े ठंड का सामना करने पर विवश हैं. अच्छे खानपान के साथ-साथ चाय श्रमिक अगर अपने घर का खुद से निर्माण करना चाहे तो उसमें भी बागान मैनेजमेंट की ओर से बाधा दिया जाता है. ऐसी भी घटना विगत दिनों डुआर्स के कई बागानों में देखी गई है. लगभग 100 वर्षों से निवास करने के बावजूद भी श्रमिक अपने जमीन के हकदार नहीं.
वहीं श्रमिकों को कलम में चिकित्सा की सुविधा मिलती है लेकिन वर्तमान में डुआर्स के कई बागानों में देखा गया कि अस्पताल तो है लेकिन मरीजों को देखने के लिए चिकित्सक नहीं है. अचानक कोई श्रमिक अगर बीमार पड़ जाए तो रेफर के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं. वहीं चाय श्रमिकों को जितनी मजदूरी मिलती है, इतने में घर चलाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं
तो वे अपना इलाज अच्छे तरीके से कैसे करा पाएंगे. आए दिन डुआर्स के कई चाय बागानों में यह भी देखा गया है कि पैसे ना होने के कारण चिकित्सा के अभाव में कितने श्रमिकों की जान चली गई है. लेकिन इन समस्त कठिनाइयों के बावजूद भी उत्कृष्ट चाय के उत्पादन की जिम्मेदारी इन शोषित श्रमिकों पर रहती हैं.
लेकिन सभी पहलुओं से वंचित चाय बागान के अधिकांश श्रमिकों को उन लाभों का लाभ नहीं मिल रहा, जिनके वह हकदार हैं. यहां तक कि उनको मिलने वाला छाता, त्रिपाल, चप्पल से भी वे वंचित हैं. वर्ष के अधिकांश चाय बगान के श्रमिकों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अब तो प्रत्येक वर्ष मिलने वाले न्यूनतम सुविधाएं भी हमें प्राप्त नहीं हो रहा.
इस विषय पर श्रमिक संगठन की अलीपुरद्वार जिला नेता विकास महली ने बताया कि वर्तमान में चाय श्रमिकों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी है.
हर वक्त इनके साथ सिर्फ शोषण किया जाता है. सैकड़ों वर्ष से निवास करने के बावजूद भी अब तक यहां के श्रमिकों को जमीन का अधिकार नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि रविवार को विश्व चाय दिवस तो मनाया गया एवं सुबह उठते ही सबको चाय की चुस्की चाहिए, लेकिन वर्तमान में चाय मजदूरों की दुर्दशा के चिंता किसी को नहीं.
उन्होंने कहा चाय अधिनियम के तहत चाय श्रमिकों को चप्पल, छाता, त्रिपाल, जैसे विभिन्न प्रकार की सामग्री बागान मैनेजमेंट की ओर से दिए जाते थे एवं इसके साथ-साथ जिसका घर नहीं है. उन्हें नया घर प्रदान किया जाता था, पुराने घरों की मरम्मत की जाती थी लेकिन यह सब सुविधा वर्तमान में डुआर्स के अत्याधिक चाय बागानों में ना के बराबर है. वर्तमान में हर पहलुओं से यहां के चाय श्रमिकों वंचित है.
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