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जीटीए पर अपना रुख स्पष्ट करे भाजपा : गोरामुमो

पहाड़ की समस्या के समाधान में जीटीए बन सकता है रोड़ा गोजमुमो (विमल गुट) से भी पूछा इस बारे में उसका रुख दिल्ली में बातचीत से पहले जीटीए को खारिज करना जरूरी दार्जिलिंग : पहाड़ की समस्या के स्थायी राजनैतिक समाधान की राह में गोरखा क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) रोड़ा बन सकता है. यह कहना है […]

पहाड़ की समस्या के समाधान में जीटीए बन सकता है रोड़ा

गोजमुमो (विमल गुट) से भी पूछा इस बारे में उसका रुख

दिल्ली में बातचीत से पहले जीटीए को खारिज करना जरूरी

दार्जिलिंग : पहाड़ की समस्या के स्थायी राजनैतिक समाधान की राह में गोरखा क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) रोड़ा बन सकता है. यह कहना है गोरामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता महेंद्र छेत्री का. जीटीए को लेकर उन्होंने भाजपा और गोजमुमो (विमल गुट) से भी अपना रुख साफ करने की मांग की है.

पत्रकारों से बातचीत में महेन्द्र छेत्री ने कहा कि दार्जिलिंग से भाजपा के सांसद राजू बिष्ट को विजयी बनाने में गोरामुमो की अहम भूमिका रही है. गोरामुमो ने गोरखाओं को एकबद्ध करने का काम किया था, जिसके कारण राजू बिष्ट की ऐतिहासिक जीत हुई. गोरामुमो प्रवक्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार राजू बिष्ट को समर्थन देने से पहले भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ गोरामुमो ने भेंटवार्ता की थी.

उस वक्त गोरामुमो ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष गोरखाओं की राजनैतिक, संवैधानिक, जातीय परिचय जैसी जो समस्याएं हैं, उनके समाधान का प्रस्ताव रखा था. भाजपा ने इस बारे में ठोस कदम उठाने का भरोसा भी दिया था, जिसके तहत भाजपा ने अपने राष्ट्रीय संकल्प पत्र में गोरखाओं की समस्या का स्थायी समाधान करने का लिखित वचन भी दिया.

महेंद्र छेत्री ने कहा कि भाजपा ने जीटीए को लेकर अपना रुख अभी तक साफ नहीं किया है. इस बारे में उसे अपना रुख बताना होगा. इसी तरह से गोजमुमो (विमल गुट) ने भी जीटीए को लेकर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है. उन्होंने कहा कि जीटीए गठन कराने में गोजमुमो (विमल गुट) की अहम भूमिका रही थी इसलिए अब उसे जीटीए पर अपना व भाजपा का रुख स्पष्ट करना चाहिए. गोजमुमो (विमल गुट) को राज्य सरकार और केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अपना रुख स्पष्ट करना होगा.

गोरामुमो प्रवक्ता ने कहा कि अलग राज्य हो अथवा केंद्रशासित प्रदेश, इन सबकी की राह में जीटीए रोड़ा बन सकता है. उन्होंने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय संकल्प पत्र की याद दिलाने के लिए दार्जिलिंग से शीघ्र ही एक टोली दिल्ली प्रस्थान करने वाली है. दिल्ली में केंद्र सरकार के साथ दार्जिलिंग समस्या के स्थायी राजनैतिक समाधान पर बातचीत की जायेगी. इस बातचीत में जीटीए की वजह से रोड़ा अटक सकता है. इसलिए दिल्ली में बातचीत का क्रम शुरू होने से पहले जीटीए को खारिज करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि गोरामुमो 2012 से ही जीटीए का विरोध करते आ रहा है और इन बातों को लेकर वह अदालत भी जा चुका है.

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