हाथियों के हमलों से सुरक्षित बस्ती में 200 बीघा परती जमीन में लहलहायी फसल
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पक्के ड्रेन से सुरक्षित व खुशहाल हुई शिब्चु वनबस्ती
हाथियों के हमलों से सुरक्षित बस्ती में 200 बीघा परती जमीन में लहलहायी फसल नागराकाटा : हाथियों से सुरक्षा का पक्का बंदोबस्त किस कदर ग्रामीण क्षेत्र को खुशहाल बना सकता है यह शिब्चु वनबस्ती को देखने से पता चलेगा. यहां वन विभाग के पक्ष से हाथियों के लिये बनाये गये पक्के नाले के चलते जहां […]
नागराकाटा : हाथियों से सुरक्षा का पक्का बंदोबस्त किस कदर ग्रामीण क्षेत्र को खुशहाल बना सकता है यह शिब्चु वनबस्ती को देखने से पता चलेगा. यहां वन विभाग के पक्ष से हाथियों के लिये बनाये गये पक्के नाले के चलते जहां इलाके के लोग हाथियों के हमलों से बेखबर रात को चैन की नींद सो रहे हैं वहीं, अब फसलें भी लहलहा रही हैं. करीब दो सौ बीघा परती जमीन में अब फसल की पैदावार हो रही है. इसके अलावा चापरामारी जंगल से घिरी इस बस्ती इलाके की बैटरी फेनसिंग के चलते लोग रात को निश्चित सो पा रहे हैं.
वन विभाग के चालसा रेंज के रेंजर पल्लव मुखर्जी ने बताया कि जंगल के उस हिस्से से होकर हाथियों के झुंड घुसते थे वहां पक्का और गहरा नाला बनाया गया है. इस नाले को वयस्क हाथी भी पार नहीं कर सकता है. यहां तक कि अगर कोई हाथी शावक नाले में गिर भी जाये तो नाले के दोनों तरफ बने रैम्प से वह निकल आयेगा. स्थानीय लोगों ने वन विभाग के इन कदमों का स्वागत किया है.
वन विभाग के सूत्र के अनुसार पक्का नाला तकरीबन 125 फीट लंबा और 14 फीट चौड़ा है. गहराई है सात फीट. हाथी की सूढ़ जहां मिट्टी को छूती है उसी के आधार पर वह चलता है. नाले की ऊंचाई ज्यादा होने से हाथी के उसे पार करने का सवाल पैदा ही नहीं होता है. कई फीट के अंतर पर नाले में डिवाइडर भी बने हुए हैं. इससे भी शावक गिरने पर भी सुरक्षित रहेंगे.
स्थानीय शिबु सुनवार, पुटुंग मुंडा, काईंला राई और सेलाई मुंडा ने बताया कि नाला बनने के बाद से हाथियों का प्रवेश बंद हो गया है. इससे पिछले चार साल से बंजर दो सौ बीघा जमीन में खेती शुरु हो गयी है. अरसे बाद बस्तीवासी रात को चैन से सो पा रहे हैं. इन ग्रामीणों का कहना है कि अगर वन विभाग जंगल से संलग्न पौने दो किमी कच्चे नाले को भी इसी तरह पक्का कर दे तो उनकी जिंदगी ही बदल जायेगी.
उल्लेखनीय है कि वन विभाग ने पश्चिमबंग जैव वैचित्र्य प्रकल्प के माध्यम से नाले का निर्माण किया गया है.
नाले के अलावा शिब्चु को कैम्पा नामक प्रकल्प के जरिये चालसा रेंज के पक्ष से बैटरी संचालित फेनसिंग से घेर दिया गया है ताकि हाथी के प्रवेश की तनिक भी संभावना नहीं रह गयी है. दो किमी लंबी फेनसिंग से आंगनबाड़ी केंद्र, प्राथमिक विद्यालय समेत बस्ती के घर अब सुरक्षित हो गये हैं. वन विभाग के रिकार्ड में रेवेन्यू विलेज के रुप में दर्ज शिब्चु बस्ती के करीब 500 निवासी लाभान्वित हुए हैं. फेनसिंग की देखरेख का दायित्व बीट अफसर गौतम मजुमदार के नेतृत्व में संयुक्त वन संचालन समिति को सौंपा गया है.
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