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अपने बालों काे कैंसर मरीजों के लिए दिया दान

पहल l 8 साल की ऋषिका ने समाज को सिखाया जीने का हुनर समाजसेवी पिता ने बचपन से ही किया प्रेरित रायगंज : नेकी के लिए कोई उम्र नहीं होती. रायगंज की 8 साल की ऋषिका ने यह साबित कर दिखाया. रायगंज के वकील पाड़ा निवासी कौशिक चक्रवर्ती की मासूम बेटी ऋ षिका ने उसके […]

पहल l 8 साल की ऋषिका ने समाज को सिखाया जीने का हुनर

समाजसेवी पिता ने बचपन से ही किया प्रेरित

रायगंज : नेकी के लिए कोई उम्र नहीं होती. रायगंज की 8 साल की ऋषिका ने यह साबित कर दिखाया. रायगंज के वकील पाड़ा निवासी कौशिक चक्रवर्ती की मासूम बेटी ऋ षिका ने उसके जैसेछोटे छोटे कैंसर पीड़ित बच्चों के लिए दान कर दिया. इसके लिए ऋ षिका को जरा सा भी संकोच नहीं है बल्कि उसने खुशी खुशी अपने पीठ तक लटकते खूबसूरत और पसंदिदा बालों का दान दिया.रायगंज के सारदा विद्यामदिर स्कूल की छात्रा ऋ षिका ने प्रभात खबर को दिये साक्षातकार में बताया कि उसके पीठ तक लटकते काले घने बाल उसे बेहद प्रिय थे.

लेकिन कैंसर पेसेंट जिनके केमोथेरफी के बाद बाल झड़ जाते है, उनके लिए वह बार बार अपने प्रिय बालों का दान करने को तैयार है. लेकिन क्या उसे सिर मुंडवाकर शर्म आ रही है, या बुरा महसूस हो रहा है. इस सवाल पर उसने बताया कि कल से स्कूल खुल जायेगा. सभी उसका मजाक उड़ायेंगे. लेकिन जब वह सभी गर्व से अपने सिर मुंडवाने का कारण बतायेगी.

मासूम ऋषिका का कहना है कि ‘जो बच्चे अपनी बीमारी के कारण अपने बाल गंवाते हैं. वह काफी सैड रहते हैं, उनके चेहरे पर थोरी सी खुशी देने के लिए अपने बाल भेजकर मुझे खुशी हो रही है. मुझे मेरे पिता ने बताया है कि बाल नहीं रहने से मेरी खूबसूरती कम नहीं होगी.’ उसने बताया कि वह अपने दूसरे साथियों से भी अपने बाल कैंसर पेसेंट के लिए दान करने को प्रेरित करेगी. ऋषिका के पिता कौशिक चक्रवर्ती ही बेटी की प्रेरणा है.

पेशे से व्यवसायी कौशिक चक्रवर्ती कई सालों से समाजसेवा के साथ जुड़े है. छोटी ऋषिका बचपन से यह सब कुछ देखती आ रही है. कहीं ना कहीं उसके दिल में बचपन से ही सेवा कार्य के प्रति प्रेरित होता रहा. उसके पिता ने उसे कुछ दिनों पहले ही उसे बताया था कि उसके जैसे छोटे छोटे बच्चों के बीमारी के कारण बाल झड़ जाते है.

क्या वह उनके लिए अपने बाल देगी. पिता ने ही उसे समझाया था कि कम से कम 12 इंच लंबे बाल चाहिए. इसके बाद से वह अपने बाल नहीं काटती थी. 12 इंच लंबा होते ही सैलुन में जाकर अपने बाल कटबाये व पैक करके पिता को सौंप दिया. पूरे मामले को कौशिक चक्रवर्ती ने फेसबुक पर पोस्ट किया. कुछ ही देर में मामला वाइरल हो गया. ऋषिका अन्य कई लोगों के लिए प्रेरणा श्रोत बन गयी. छोटी सी ऋषिका ने समाज को यह सीख दी मानविक बने, दूसरों के लिए हंसते हंसाते जींए.

समाजसेवी पिता ने बचपन से ही किया प्रेरित

रायगंज : नेकी के लिए कोई उम्र नहीं होती. रायगंज की 8 साल की ऋषिका ने यह साबित कर दिखाया. रायगंज के वकील पाड़ा निवासी कौशिक चक्रवर्ती की मासूम बेटी ऋ षिका ने उसके जैसे

छोटे छोटे कैंसर पीड़ित बच्चों के लिए दान कर दिया. इसके लिए ऋ षिका को जरा सा भी संकोच नहीं है बल्कि उसने खुशी खुशी अपने पीठ तक लटकते खूबसूरत और पसंदिदा बालों का दान दिया.रायगंज के सारदा विद्यामदिर स्कूल की छात्रा ऋ षिका ने प्रभात खबर को दिये साक्षातकार में बताया कि उसके पीठ तक लटकते काले घने बाल उसे बेहद प्रिय थे.

लेकिन कैंसर पेसेंट जिनके केमोथेरफी के बाद बाल झड़ जाते है, उनके लिए वह बार बार अपने प्रिय बालों का दान करने को तैयार है. लेकिन क्या उसे सिर मुंडवाकर शर्म आ रही है, या बुरा महसूस हो रहा है. इस सवाल पर उसने बताया कि कल से स्कूल खुल जायेगा. सभी उसका मजाक उड़ायेंगे. लेकिन जब वह सभी गर्व से अपने सिर मुंडवाने का कारण बतायेगी.

मासूम ऋषिका का कहना है कि ‘जो बच्चे अपनी बीमारी के कारण अपने बाल गंवाते हैं. वह काफी सैड रहते हैं, उनके चेहरे पर थोरी सी खुशी देने के लिए अपने बाल भेजकर मुझे खुशी हो रही है. मुझे मेरे पिता ने बताया है कि बाल नहीं रहने से मेरी खूबसूरती कम नहीं होगी.’ उसने बताया कि वह अपने दूसरे साथियों से भी अपने बाल कैंसर पेसेंट के लिए दान करने को प्रेरित करेगी. ऋषिका के पिता कौशिक चक्रवर्ती ही बेटी की प्रेरणा है. पेशे से व्यवसायी कौशिक चक्रवर्ती कई सालों से समाजसेवा के साथ जुड़े है.

छोटी ऋषिका बचपन से यह सब कुछ देखती आ रही है. कहीं ना कहीं उसके दिल में बचपन से ही सेवा कार्य के प्रति प्रेरित होता रहा. उसके पिता ने उसे कुछ दिनों पहले ही उसे बताया था कि उसके जैसे छोटे छोटे बच्चों के बीमारी के कारण बाल झड़ जाते है. क्या वह उनके लिए अपने बाल देगी.

पिता ने ही उसे समझाया था कि कम से कम 12 इंच लंबे बाल चाहिए. इसके बाद से वह अपने बाल नहीं काटती थी. 12 इंच लंबा होते ही सैलुन में जाकर अपने बाल कटबाये व पैक करके पिता को सौंप दिया. पूरे मामले को कौशिक चक्रवर्ती ने फेसबुक पर पोस्ट किया. कुछ ही देर में मामला वाइरल हो गया. ऋषिका अन्य कई लोगों के लिए प्रेरणा श्रोत बन गयी. छोटी सी ऋषिका ने समाज को यह सीख दी मानविक बने, दूसरों के लिए हंसते हंसाते जींए.

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