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मतदाताओं का शुक्रिया अदा करने गांव-गांव जायेंगे विधायक

जनता ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे हरहाल में करेंगे पूरा: नीरज जिम्बा दार्जिलिंग : दार्जिलिंग विधानसभा उप चुनाव में जीत हासिल के करने के बाद मतदाताओं का सुक्रिया अदा करने के लिए विधायक नीरज जिम्बा गांव-गांव जाएंगे. टेलीफोन पर बातचीत करते हुए विधायक नीरज जिम्बा ने कहा कि जनता जो कंधे पर जिम्मेदारी सौंपी […]

जनता ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे हरहाल में करेंगे पूरा: नीरज जिम्बा

दार्जिलिंग : दार्जिलिंग विधानसभा उप चुनाव में जीत हासिल के करने के बाद मतदाताओं का सुक्रिया अदा करने के लिए विधायक नीरज जिम्बा गांव-गांव जाएंगे. टेलीफोन पर बातचीत करते हुए विधायक नीरज जिम्बा ने कहा कि जनता जो कंधे पर जिम्मेदारी सौंपी है, उसको पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने कहा कि अभी बंगाल विधानसभा का अधिवेशन चल रहा है. एक विधायक होने के नाते चल रहे अधिवेशन में मेरा होना जरूरी है. इसलिए मैं कोलकाता में हूं.

बातचीत के दौरान विधायक श्री जिम्बा ने कहा कि जैसे ही विधानसभा अधिवेशन समाप्त होगा, उसके दूसरे दिन ही मैं दार्जिलिंग पहुंचकर गांव-गांव जाकर जनता से मुलाकात कर सुक्रिया अदा करूंगा. विजयोत्सव के संदर्भ में पूछे जाने पर विधायक ने कहा कि चुनाव परिणाम आये काफी दिन बीत चुके हैं.

वैसे भी प्रशासन से विजयोत्सव के लिए अनुमति नहीं मिली है. राज्य सरकार ने विजयोत्सव पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसीलिए प्रशासन से अनुमति भी नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि विधानसभा अधिवेशन के बाद मैं दार्जिलिंग लौट जाउंगा और गांव-गांव जाकर जनता से मुलाकात कर सुक्रिया अदा करूंगा. इससे जनता की समस्याओं को अपनी नजर से देखने का मौका मिलेगा.

विधायक श्री जिम्बा ने कहा कि अभी सांसद और विधायक दोनों का अधिवेशन चल रहा है. जैसे ही अधिवेशन समाप्त होगा, वैसे ही दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्ट के साथ गांव-गांव जाकर जनता से मुलाकात करूंगा. उन्होंने कहा कि सांसद और विधायक के माध्यम से होने वाले विकास योजनाओं द्वारा जितना विकास कार्य हो सकेगा उसे करने का प्रयास करेंगे. बातचीत के दौरान विधायक जिम्बा ने कहा कि 27 जुलाई को गोरामुमो प्रत्येक साल शहीद दिवस के रूप में कार्यक्रम आयोजित करती रही है. इस बार भी पार्टी की ओर से 27 जुलाई को शहीद दिवस काफी भव्यता से मनाने की योजना तैयार की गयी है.

1986 में अलग राज्य गोर्खालैंड के गठन की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हुआ था, जिसमें 12 सौ लोग शहीद हुये थे. 1988 में दार्जिलिंग गोर्खा पर्वतीय परिषद के दस्तावेज पर त्रिपक्षीय समझौता होने के बाद 27 जुलाई को शहीद दिवस के रूप में आयोजित किया जाता रहा है. इसके बाद 2007 में फिर अलग राज्य गोर्खालैंड गठन की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हुआ था, उस दौरान भी लोग शहीद हुए थे.

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