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सिलीगुड़ी: फायरिंग रेंज बना परेशानी का सबब

एक्स-रे रिपोर्ट के मुताबिक पैर में गोली फंसे होने का अनुमान फायरिंग रेंज को दूर ले जाने या फिर उंची दीवारों में कैद करने की मांग सिलीगुड़ी : फायरिंग रेंज सटे होने से बस्ती वासी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. करीब छह महीना पुराना एक मामला सामने आने से हाथीघिसा में खलबली मची […]

एक्स-रे रिपोर्ट के मुताबिक पैर में गोली फंसे होने का अनुमान

फायरिंग रेंज को दूर ले जाने या फिर उंची दीवारों में कैद करने की मांग

सिलीगुड़ी : फायरिंग रेंज सटे होने से बस्ती वासी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. करीब छह महीना पुराना एक मामला सामने आने से हाथीघिसा में खलबली मची हुयी है. पैर में हो रहे काफी दर्द से कराह रहे एक बच्चे के पैर में करीब छह महीना पहले गोली लगने की संभावना जतायी जा रही है. बस्तीवासी फायरिंग रेंज को जनबहुल इलाके से दूर या फिर उंची दीवारों में कैद करने की मांग कर रहे हैं. जिला प्रशासन मामले की जांच में जुटा है. सिलीगुड़ी महकमा शासक व जिला पुलिस अधीक्षक ने मामला की जांच का आश्वासन दिया है.

पिछले कुछ दिनों से हाथीघिसा हाई स्कूल के कक्षा आठवीं का छात्र 15 वर्षीय अजीत वर्मन के दाहिने पैर में काफी दर्द हो रहा था. परिवार वालों ने डॉक्टर की सलाह पर उसके पैर का एक्स-रे करवाया. एक्स-रे रिपोर्ट देखकर डॉक्टर ने पैर में गोली लगने की संभावना जतायी है. बल्कि बुलेट अभी भी उसके पैर में अटके होने की संभावना है. इसके बाद परिवार वालों ने करीब छह महीने पुरानी एक घटना की जिक्र किया है. अजीत के पिता प्रवीण वर्मन ने बताया करीब छह महीने पहले अजीत के पैर में जख्म हुआ था, काफी खून निकल रहा था. तब उसकी परहम पट्टी कर की गयी थी. लेकिन पिछले एक सप्ताह से उसके पैर में काफी दर्द होने लगा.

डॉक्टर की सलाह पर एक्स-रे करवाया तब गोली लगने का वाक्या सामने आया है. गोली लगने का मामला सामने आने पर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने गया, लेकिन पुलिस ने मामला लेने से इनकार कर दिया है. पुलिस का कहना है कि पैर से गोली निकाल कर लाने के बाद ही मामला दर्ज करेगी. हम पुलिस व एनसीसी प्रबंधन से अजीत के ऑपरेशन में सहायता की अपील करते हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार नक्सलबाड़ी ब्लॉक हाथीघिसा इलाका स्थित सिविल डिफेंस रिसर्च सेंटर के अंतर्गत एनसीसी का एक फायरिंग रेंज भी है. एनसीसी फायरिंग रेंज से 250 मीटर की दूरी पक सेबदिल्लाजोत नाम की एक बस्ती है. बस्तीवालों का कहना है कि फायरिंग रेंज के चारों तरफ दीवार नहीं होने से फायरिंग के दौरान खतरा बना रहता है. बल्कि प्रैक्टिस के क्रम में की जाने वाली फायरिंग के दौरान चूक होने से गोली बस्ती की तरफ आती है.

कई बार धर की छत व आंगन में गोली पहुंची है. स्थानीय निवासी दीपू वर्मन ने बताया कि फायरिंग में चूक होने से आने वाली गोली से कई बार उनके घर की दीवारों में छेद हुआ है. उन गोलीयों को एनसीसी प्रबंधन को सौंपा बी गया है. एनसीसी अधिकारी हर बार आगे से ऐसा नहीं होने का आश्वासन देकर चले जाते हैं. हाथीघिसा ग्राम पंचायत प्रधान ज्येष्ठमोहन राय ने भी फायरिंग रेंज को उंची दीवारों में कैद करने या फिर स्थान बदलने की आवश्यकता जतायी है. उन्होंने बताया कि फायरिंग में हुयी चूक से बस्ती इलाके में गोलियों के पहुंचने की शिकायतें कई बार मिली है.

सिलीगुड़ी महकमा शासक सिराज दानेश्वर ने फायरिंग प्रैक्टिस के दौरान चूक से गोली लगने की संभावना को नगण्य बताया है. उनका कहना है कि फायरिंग में प्रैक्टिस के कई नियम है. जिला शासक की अनुमति के बिना फायरिंग प्रैक्टिस नहीं किया जा सकता है. दूसरी बात प्रैक्टिस में जिंदा कार्तूस का प्रयोग नहीं किया जाता है. गांव वालों के लिए यह कहना काफी आसान है, फिर भी वे मामले की जांच करेगें. पुलिस को गांव वालों की शिकायत पर अमल करना चाहिए. उन्होंने आगे बताया कि यदि पुलिस शिकायत नहीं लेती है को गांव वालों व पीड़ित परिवार डीएसपी से शिकायत कर सकते हैं. दार्जिलिंग जिला पुलिस अधीक्षक अमरनाथ के भी मामले की जांच का आश्वासन जताया है.

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