अमर शक्ति़ कोलकाता : बाघ भले ही हिंसक पशु है, लेकिन जंगल की सुंदरता इसकी वजह से ही है. पश्चिम बंगाल का सुंदरवन का नाम पूरे विश्व में सिर्फ दो वजहों से मशहूर है. पहला यहां का मैंग्रो फोरेस्ट व दूसरा रॉयल बंगाल टाइगर. बाघ की संख्या जिस प्रकार से कम हो रही है, वह पर्यावरण व वन्य-जीव चक्र के लिए और भी ज्यादा खतरनाक साबित होगा.
बाघों को बचाने व उनके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने का जिम्मा पश्चिम बंगाल के रहनेवाले दंपती ने उठाया है. ‘बाघ बचाओ, परिवेश बचाओ’ के नारे को लेकर वन्य-जीव प्रेमी रथींद्रनाथ दास, अपनी पत्नी गीतांजलि दासगुप्ता के साथ बाइक से 12 देशों का दौरा करेंगे.
उनका यह दौरा इस वर्ष के अंत में मणिपुर से होते हुए म्यांमार से शुरू होगा और तीन महीने के दौरे में वह थाइलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम, कंबोडिया, लाओस, चीन, रूस, नेपाल, भूटान व बांग्लादेश का सफर करेंगे. लगभग तीन महीने तक चलनेवाले इस दौरे पर में वह 80 हजार किमी की दूरी तय करेंगे.
अपने दौरे के संबंध में रथींद्रनाथ दास ने बताया कि इन 12 देशों के जंगलों में अभी भी बाघ पाये जाते हैं, इसलिए वह इन देशों का दौरा करने जा रहे हैं. इस दौरे का एक मात्र उद्देश्य, लोगों को वन्य-जीव काे बचाए रखने के लिए उनके जिम्मेवारियों से अवगत कराना है. वन्य-जीव की रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है.
उन्होंने बताया कि उनके इस दौरे के लिए हीरो मोटोकॉर्प ने उन्हें एक मोटरसाइकिल दी है, जो उन्हें दुर्गापुर के दत्ता ऑटोमोबाइल द्वारा प्रदान किया गया है. इसके साथ-साथ बेंगलुरु की एक्सप्लोरिंग नेचर, साउथ एशियन फोरम फॉर एनवायरोमेंट (सेफ), हांगकांग की एशियन वाइल्डलाइफ फाेटोग्राफर्स क्लब ने इस दौरे के लिए हर संभव मदद की है.
उन्होंने कहा कि विदेश दौरे के पहले वह शुक्रवार से पूरे भारत दौरे पर जा रहे हैं और पूरे देश में ‘बाघ बचाओ, परिवेश बचाओ’ को लेकर जागरूकता फैलायेंगे. इसके नारे के साथ ही वह देश के युवाओं को ‘सेफ ड्राइव, सेव लाइफ’ के प्रति भी जागरूक करेंगे. श्री दास ने बताया कि वन्य-जीव व पर्यावरण को लेकर वह बचपन से ही काफी सजग रहे हैं.
इससे पहले ‘वन बचाओ, वन्य-जीव बचाओ’ के नारे के साथ वह पूरे देश का दौरा कर चुके हैं. अक्तूबर 2016 से फरवरी 2017 के बीच उन्होंने देश के 29 राज्य व 5 केंद्र शासित राज्यों के लगभग 27,138 किमी की दूरी तय की थी.
उन्होंने बताया कि अपने दौरे के दौरान उन्होंने देश के 2200 स्कूलों के छात्रों को वन व वन्यजीव काे बचाने की जरूरत के बारे में बताया था. अब वह बाघ संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहते हैं, क्योंकि बाघ ही जंगल की सुंदरता व आकर्षण है. यह बाघ ही खत्म हो जायेंगे तो जंगलों में वन्य-जीव चक्र का संतुलन ही बिगड़ जायेगा. इसलिए वन व वन्य जीव की रक्षा के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है.