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नियुक्ति में गड़बड़ी के विरोध में उतरे ग्रुप-डी कर्मी, समान काम के लिए समान वेतन की भी मांग की, मांगें पूरी नहीं होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी

सिलीगुड़ी : वेतन वृद्धि व नियुक्ति में गड़बड़ी जैसे मुद्दों को लेकर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के ग्रुप-डी कर्मचारियों ने आंदोलन छेड़ दिया है. पहले से कार्यरत एक कर्मचारी के स्थान पर किसी बाहरी की नियुक्ति का कर्मचारियों ने विरोध जताया. उन्होंने समान काम के लिए समान वेतन की मांग की है. साथ […]

सिलीगुड़ी : वेतन वृद्धि व नियुक्ति में गड़बड़ी जैसे मुद्दों को लेकर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के ग्रुप-डी कर्मचारियों ने आंदोलन छेड़ दिया है. पहले से कार्यरत एक कर्मचारी के स्थान पर किसी बाहरी की नियुक्ति का कर्मचारियों ने विरोध जताया. उन्होंने समान काम के लिए समान वेतन की मांग की है. साथ ही दुर्गा पूजा के पहले बोनस की मांग भी है. ऐसा नहीं होने पर जोरदार आंदोलन की चेतावनी दी गयी है. कर्मचारियों ने सोमवार की दोपहर में अस्पताल अधीक्षक कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
जानकारी के अनुसार, राज्य के सरकारी अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों में ग्रुप-डी कर्मचारी टेंडर के माध्यम से ठेकेदार संस्था से लिये जाते हैं, जिनकी तनख्वाह राज्य स्वास्थ विभाग तय करता है. इसी क्रम में उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में भी ग्रुप-डी कर्मचारियों की नियुक्ति की गयी है. वर्ष 2014 में टेंडर निकाल जीवन राई ठेकेदार के माध्यम से मेडिकल कॉलेज में 123 कर्मचारियों की नियुक्ती की गयी थी. 2017 के मार्च महीने में नियुक्ति समझौता समाप्त हो गया है. कोई नया समझौता नहीं हुआ है, लेकिन बीच-बीच में कई कर्मचारियों की नियुक्ति की गयी है. सूत्रों की मानें तो 20-22 लोगों की नियुक्ति अवैध तरीके से की गयी है.
ग्रुप-डी कर्मचारियों को 150 रुपया दैनिक मजदूरी के हिसाब से वेतन मुहैया कराया जाता है. कर्मचारियों का आरोप है कि महंगाई के इस दौर में इस पैसे में परिवार का भरण-पोषण मुश्किल है. ऊपर से पीएफ व अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं. वहीं दक्षिण बंगाल के सागर दत्त मेडिकल कॉलेज में ग्रुप-डी कर्मचारियों को 300 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 9000 रुपये महीना वेतन मुहैया कराया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने भी समान काम के लिए समान वेतन का निर्देश दिया है, फिर हम लोगों को 150 रुपये ही दिये जा रहे हैं. इसके अतिरिक्त बिना समझौता के ही ठेकेदार संस्था मोटी रकम लेकर बाहरी युवकों को काम पर लाती है.
सोमवार को ठेकेदार संस्था ने पहले से कार्यरत शुभंकर सेन को हटाकर एक बाहरी युवक को नियुक्त करने करने की प्रक्रिया शुरू की. इसी बात पर अन्य कर्मचारी भड़क गये. कर्मचारियों ने इसका विरोध जताकर हंगामा किया. कर्मचारी लिटन प्रमाणिक ने बताया कि इतनी कम मजदूरी में हमलोग दिन-रात काम करते हैं. इसके बाद भी बाहरी युवकों को काम दिया जाता है.
आरोप है कि कर्मचारियों का बोनस हजम करने के लिए ठेकेदार संस्था पुराने कर्मचारियों के स्थान पर बाहरी को नियुक्त कर रही है. प्रशांत सेनगुप्ता, शांतू भादुड़ी, लिटन प्रमाणिक, कालीचरण मल्लिक व अन्य कर्माचारियों ने मेडिकल कॉलेज के उपाधीक्षक विजय थापा से भी इसकी शिकायत की है. सहायक अधीक्षक सुदीप मंडल ने बताया कि ग्रुप-डी कर्मचारियों का वेतन स्वास्थ विभाग तय करती है. उनके मुद्दों को स्वास्थ विभाग तक पहुंचा दिया जायेगा. वेतन व बोनस ठेकेदार संस्था के माध्यम से ही होता है. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से बेदाग व अच्छे कर्मचारियों की मांग ठेकेदार संस्था से की गयी है.

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