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श्रमिकों के बोनस पर ज्वाइंट फोरम ने की बैठक, कहा : बोनस को लेकर सीएम करें हस्तक्षेप

दार्जिलिंग : पूजा बोनस की मांग को लेकर ज्वाइंट ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है. इसको लेकर रविवार को स्थानीय क्रामाकपा केंद्रीय कार्यालय के कांफ्रेंस हॉल में ज्वाइंट फोरम की एक सभा आयोजित की गयी. आयोजित सभा में ज्वाइंट फोरम के हिल संयोजक जेवी तमांग विशेष रूप से उपस्थित थे. इसी तरह अन्य […]

दार्जिलिंग : पूजा बोनस की मांग को लेकर ज्वाइंट ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है. इसको लेकर रविवार को स्थानीय क्रामाकपा केंद्रीय कार्यालय के कांफ्रेंस हॉल में ज्वाइंट फोरम की एक सभा आयोजित की गयी. आयोजित सभा में ज्वाइंट फोरम के हिल संयोजक जेवी तमांग विशेष रूप से उपस्थित थे. इसी तरह अन्य लोगों में प्रचार-प्रसार सचिव सुनील राई, अमर लामा, पूर्व सांसद समन पाठक, लक्ष्मण प्रधान भी मौजद रहे.
करीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुये फोरम के संयोजक जेवी तमांग ने कहा कि पहाड़ के चाय बागान श्रमिकों को पूजा बोनस के लिये 20 प्रतिशत की दर से दिये जाने की मांग की गयी है. इसके तहत सोमवार को पुन: दार्जिलिंग टी एसोसिएशन को पत्र दिया जायेगा. पिछले 27 सितंबर को भी ज्वाइंट फोरम ने 20 प्रतिशत पूजा बोनस की मांग को लेकर डीटीए को पत्राचार किया था. लेकिन अभी तक डीटीए की ओर से इसका कोई जबाब नहीं मिला है. आज के बैठक में इसपर लंबे समय तक चर्चा-परिचर्चा किया गया.
श्री तमांग ने कहा कि पिछले सप्ताह डीटीए ने एक पत्र भेजा था, जिसमें पिछले 2017 के 104 दिनों के पहाड़ बंद के दौरान पहाड़ के चाय बागानों को काफी नुकसान हुआ था. उक्त बातों का उल्लेख करते हुये इस बार सरकारी नियम के तहत केवल 8.33 प्रतिशत की दर से पूजा बोनस दिये जाने की बात की गयी है.उक्त पत्र में इस पर समझौता और बातचीत नहीं करने की बातों का भी उल्लेख किया गया है. परंतु उन्होंने कहा कि हमारा कहना है 104 का दिनों का बंद श्रमिकों ने नहीं किया था. बंद से सबसे सबसे ज्यादा नुकसान चाय श्रमिकों को उठाना पड़ा है. इसलिये 20 प्रतिशत पूजा बोनस के साथ अग्रिम भुगतान भी दिये जाने की मांग को दुहराया.
20 प्रतिशत पूजा बोनस की मांग को लेकर आगामी 2 अक्टूबर से 4 अक्टूबर तक ज्वाइंट फोरम ने चाय बगानों में गेट मीटिंग जैसे कार्यक्रम करने की जानकारी देते हुये उक्त कार्यक्रमों में ज्वाइंट फोरम के शीर्ष नेतृत्वगणों के भी भाग लेने की जानकारी दी. वहीं ज्वाइंट फोरम के प्रचार प्रसार सचिव सचिव सुनील राई ने कहा कि 104 दिनों का बंद श्रमिकों ने नहीं बल्कि आज जीटीए की कुर्सी पर बैठने वालों ने किया था.
इसलिये इस बारे में जीटीए की कुर्सी पर बैठने वालों को बोलना होगा. लेकिन श्रमिकों को 20 प्रतिशत पूजा बोनस के साथ अग्रिम भुगतान भी करना होगा. ज्वाइंट फोरम के वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता अमर लामा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा कि पिछले 2017 में पहाड़ में आंदोलन के कारण अशांत हो गया था. पहाड को शांति श्रृखंला के मार्ग पर लानें में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वयं आगे आयी थी.
इसी तरह से पहाड़ के चाय बागान श्रमिकों को पूजा बोनस की मांग पर भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हस्तक्षेप करने की मांग लामा ने किया. इसी तरह से जीटीए की कुर्सी पर बैठने वालों ने भी इस पूजा बोनस की मांग पर हस्तक्षेप करने की मांग किया. सभा के दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि पहाड़ के जितने भी श्रमिक संगठन हैं, वे सवी अपनी-अपनी ओर से बागान प्रबंधकों को पत्रचार करें.

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