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गोजयुमो महासचिव अरूण छेत्री ने लगाया आरोप, विमल गुरुंग के कारण नहीं हो सका पहाड़ का विकास

दार्जिलिंग : विमल गुरुंग ने कभी भी राज्य सरकार के साथ अच्छा संबंध नहीं रखा, जिसके कारण पहाड़ का विकास नहीं हो पाया और इसका खामियाजा पहाड़ की जनता को उठाना पड़ा. उक्त बातें गोर्खा जनमुक्ति युवा मोर्चा के केंद्रीय महासचिव अरूण छेत्री ने कही. पत्रकारों से बातचीत करते हुये श्री छेत्री ने कहा कि […]

दार्जिलिंग : विमल गुरुंग ने कभी भी राज्य सरकार के साथ अच्छा संबंध नहीं रखा, जिसके कारण पहाड़ का विकास नहीं हो पाया और इसका खामियाजा पहाड़ की जनता को उठाना पड़ा. उक्त बातें गोर्खा जनमुक्ति युवा मोर्चा के केंद्रीय महासचिव अरूण छेत्री ने कही. पत्रकारों से बातचीत करते हुये श्री छेत्री ने कहा कि विगत 2007 में गोर्खा जनमुक्ति मोर्चा का गठन होने के बाद छठी अनुसूची का विरोध करते हुये अलग राज्य गोर्खालैंड के गठन की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया गया था.
परंतु मोर्चा के आंदोलन ने 2011 में राज्य सरकार के अधीनस्थ अस्थायी जीटीए व्यवस्था पर समझौता किया था. 2012 में जीटीए का पहली चुनाव हुआ था, जिसमें मोर्चा पूरे बहुमत के साथ जीत हासिल किया. इसके बाद बोर्ड का गठन किया गया था, जिसके चीफ विमल गुरूंग बने थे.
जीटीए राज्य सरकार के अधीनस्थ व्यवस्था होने के कारण विमल गुरूंग ने राज्य सरकार के साथ अच्छा सम्बंध बनाकर काम करना चाहिये था. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. बार-बार हर बात पर राज्य सरकार को कोसने लगे. जिसके कारण जीटीए के माध्यम से पहाड़ का जितना विकास होना चाहिये था, नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने फिर से पहाड़ का विकास करने के लिये कमेटी का गठन किया है. जिसका चेयरमैन विधायक अमर सिंह राई को बनाया गया है.
इसमें प्रमुख सलाहकार के रूप में जीटीए वीओए चेयरमैन विनय तमांग और वाइस चेयरमैन अनित थापा को बनाया गया है. आगामी 6 माह के भीतर नव गठित कमेटी ने पहाड़ के विकास कार्य हेतु कार्य योजनाओं की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने का निर्देश भी सरकार ने दिया है. आगमी 2019 के फरवरी में नव कमेटी की छह माह पूरा होने जा रहा है. इस कार्य को कुछ लोग लोकसभा चुनाव के चश्मा से देख रहे हैं. परंतु नव कमेटी गठन का लोकसभा चुनाव से कोइ लेना देना नहीं है.
बातचीत के क्रम में महासचिव छेत्री ने कहा कि मोर्चा अध्यक्ष विनय तमांग और महासचिव अनित थापा को जीटीए संभावना मजबूरी है, उसी के बदौलत पहाड़ में शांति श्रृंखला बनी हुयी है और विकास कार्य भी हो रहा है. विमल गुरूंग के शासनकाल में विकास से वंचित पहाड़ में अब विनय तमांग और अनित थापा के शासनकाल में विकास कार्य जारी है. कर्सियांग में प्रेसीडेन्सी कॉलेज से लेकर दार्जिलिंग हिल विश्वविद्यालय का काम तेजी हो रहा है.
इसके अलावे अन्य कार्य योजनायें भी हैं. उसको भी जल्द होने का दावा किया. गोर्खालैंड के विषय पर महासचिव अरूण छेत्री ने कहा कि यह विषय राज्य का नहीं बल्कि केन्द्र सरकार का विषय है. इस इसकी जानकारी राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले भी बता चुकी हैं. अभी केन्द्र में भाजपा समर्पित एनडीए की सरकार है. सूर्य अस्त की अवस्था में आगामी कुछ ही माह में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है. ऐसी अवस्था में आंदोलन करना एवं गोर्खालैंड के लिये आवाज उठाना एनर्जी लौस करना मात्र है.
उन्होंने कहा कि गोर्खालैंड की मांग पर भाजपा ईमानदार नहीं है. विगत 2017 में हम लोगों ने आंदोलन किया था. भाजपा ने हमलोगों के पक्ष में एक शब्द भी नहीं बोला. चुनाव के दौरान गोर्खालैंड के पक्ष में बोलने वाले भाजपा नेता राजीप प्रताप रूडी ने पिछले दिनों अपने बयान पर पल्टी मार ली. दूसरी ओर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी विमल गुरूंग का साथ छोडने का संकेत देते हुये अब पहाड में विमल गुरूंग के बेघर पार्टी को मजबूत बनाने की बातें कह चुके है.

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