सिलीगुड़ी: दाजिर्लिंग जिले में पहाड़-समतल के चारों महकमे में संयुक्त रूप से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होना चाहिए, न कि सिलीगुड़ी महकमा क्षेत्र (समतल) में अलग एवं पहाड़ (दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र) पर अलग.
यह कहना है दाजिर्लिंग-डुवार्स युनाइटेड डेवलपमेंट फाउंडेशन (डीडीयुडीएफ) के सुप्रिमो एवं दाजिर्लिंग लोकसभा संसदीय क्षेत्र के निर्दलीय उम्मीदवार महेन्द्र पी लामा का. लोकसभा चुनाव के बाद वह आज पहली बार सिलीगुड़ी में संवाददाताओं से मुखातिब हुए.
इस दौरान उन्होंने कहा कि पंचायत एक्ट 1974, बंगाल एक्ट व जीटीए एक्ट में भी दाजिर्लिंग जिले में भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का उल्लेख है, लेकिन 1988 में दाजिर्लिंग गोरखा हिल काउंसिल (डीजीएचसी) के गठन के बाद से दाजिर्लिंग जिले को पहाड़ व समतल दो भागों में विभक्त कर दिया गया. पहाड़ पर तीन महकमा (दाजिर्लिंग, कर्सियांग व कालिम्पोंग) क्षेत्रों को मिलाकर द्विस्तरीय पंचायत चुनाव (ग्राम पंचायत व पंचायत समिति) होने लगे.
वहीं समतल के सिलीगुड़ी महकमा (सिलीगुड़ी, माटीगाड़ा, नक्सलबाड़ी, खोरीबाड़ी, विधाननगर व फांसीदेवा) क्षेत्रों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (सिलीगुड़ी महकमा परिषद, ग्राम पंचायत व पंचायत समिति) होते आ रहे हैं. श्री लामा ने कहा कि हमारी मांग है कि दाजिर्लिंग जिले को पहाड़-समतल में विभक्त न कर पूरे जिले को एक में मिलाकर त्रिस्तरीय चुनाव होना चाहिए. पहाड़ पर त्रिस्तरीय चुनाव न होने के कारण वहां के गांव व अति दुरगम इलाके विकास से वंचित हैं. लोगों को सरकारी सुविधाएं मुहैया नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि दाजिर्लिंग जिले में त्रिस्तरीय चुनाव के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त समेत संबंधित विभाग से मांग की जाएगी. जरूरत पड़ने पर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जा सकता है.