10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सिलीगुड़ी : हर पूजा को छूट, तो छठ में रोक-टोक क्यों?

सिलीगुड़ी: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर दार्जिलिंग की जिला अधिकारी ने सिलीगुड़ी में छठ पूजा को लेकर जो गाइड लाइन जारी की है, उसको लेकर यहां के हिंदीभाषी समाज ने सवाल उठाया है. इन लोगों का कहना है कि आखिरकार छठपूजा को लेकर ही इतनी पाबंदी क्यों लगायी जा रही है? साल भर […]

सिलीगुड़ी: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर दार्जिलिंग की जिला अधिकारी ने सिलीगुड़ी में छठ पूजा को लेकर जो गाइड लाइन जारी की है, उसको लेकर यहां के हिंदीभाषी समाज ने सवाल उठाया है. इन लोगों का कहना है कि आखिरकार छठपूजा को लेकर ही इतनी पाबंदी क्यों लगायी जा रही है? साल भर किसी न किसी त्योहार का आयोजन होते रहता है. महानंदा नदी में हमेशा ही मूर्तियां विसर्जित की जाती हैं, तब किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगती और अब छठपूजा के ठीक पहले दार्जिलिंग जिला प्रशासन ने कई प्रकार की पाबंदियों का एलान कर दिया है, जो सही नहीं है.

उल्लेखनीय है कि एनजीटी के निर्देश पर महानंदा नदी को प्रदूषणमुक्त कराने के लिए दार्जिलिंग की जिला अधिकारी जयसी दासगुप्ता ने शुक्रवार को सिलीगुड़ी में एक उच्चस्तरीय बैठक की थी. इसी बैठक में महानंदा नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए विभिन्न दिशा-निर्देश जारी किये गये और कई प्रकार के निर्णय भी लिये गये. बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए जयसी दासगुप्ता ने कहा कि इस साल नदी के भीतर कोई घाट नहीं बनाने दिया जायेगा. नदी किनारे से तीन फीट दूर घाट बनाने का निर्देश दिया गया है.
इसके साथ ही दर्शनार्थियों तथा छठव्रतियों के लिए किसी भी प्रकार के अस्थायी पुल के निर्माण पर भी रोक लगा दी गयी है. डीएम के इसी निर्देश के बाद सिलीगुड़ी के हिंदीभाषी समाज में उबाल है. विभिन्न संगठनों ने डीएम के इस फरमान को नहीं मानने का एलान किया है. इसके अलावा सिलीगुड़ी की विभिन्न छठ पूजा कमेटियां भी लामबंद हो गयी हैं. बिहारी युवा चेतना समिति के अध्यक्ष मिथिलेश मिश्रा ने जिला प्रशासन के इस नये निर्देश का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि छठ व्रत आस्था का पर्व है.

नदी के तट पर सदियों से छठ पूजा किये जाने की परंपरा रही है. अब सिलीगुड़ी में कोई यदि इस परंपरा पर रोक लगाने की कोशिश करे, तो वह लोग इसे नहीं मानेंगे. श्री मिश्रा ने इसके साथ ही इसके साथ ही नदी प्रदूषण को रोकने पर भी बल दिया. उन्होंने कहा कि नदियों में प्रदूषण नहीं होनी चाहिए. इसका वह समर्थन करते हैं. उनके संगठन की ओर से ही महानंदा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. उन्होंने कहा कि छठ पूजा में नदी प्रदूषण जैसी कोई बात नहीं होती है. अगर घाट बनाने तथा घाट आदि के सजावट से प्रदूषण जैसी कोई बात होती भी है, तो इसका निपटारा होना चाहिए. छठ पूजा के 48 घंटे के अंदर वह नदियों के साफ-सफाई की व्यवस्था करेंगे.


श्री मिश्रा ने आगे कहा कि वह शीघ्र ही सिलीगुड़ी में विभिन्न छठ पूजा समितियों को लेकर एक बैठक करेंगे और उस पर आगे की रणनीति पर विचार करेंगे. बिहारी कल्याण मंच ने भी प्रशासन के इस नये निर्देश को मानने से इनकार कर दिया है. संगठन के अध्यक्ष गणेश त्रिपाठी ने कहा कि कोर्ट के किसी भी निर्देश का वह सम्मान करते हैं और उसका पालन होना चाहिए, लेकिन कोर्ट के आदेश की आड़ में प्रशासन की मनमानी नहीं चलेगी. उन्होंने भी कहा कि वह विभिन्न छठपूजा कमेटियों के साथ जुड़े हुए हैं और प्रशासन के इस निर्देश पर बैठक कर आगे की रणनीति पर विचार करेंगे.
दूसरी तरफ मां संतोषी छठपूजा आयोजन समिति ने भी डीएम के इस फरमान पर सवालिया निशान लगाया है. उसने कहा है कि छठ ूजा के समय प्रदूषण नहीं, बल्कि पूरे नदी की साफ-सफाई हो जाती है. यदि प्रशासन को महानंदा नदी को प्रदूषण मुक्त करना ही है तो सिर्फ एक दिन छठ पूजा के मौके पर ही नहीं, बल्कि साल के पूरे 365 दिन कार्रवाई करनी चाहिए.

वास्तविकता यह है कि महानंदा नदी छठपूजा अथवा अन्य त्योहारों के आयोजन से प्रदूषित नहीं हो रही है. महानंदा नदी में प्रदूषण सिलीगुड़ी नगर निगम के अधीन सभी 47 वार्डों के कचरे से हो रही है. गंदी नालियां महानंदा नदी में आकर मिलती हैं. वेस्ट मैनेजमेंट की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. महानंदा नदी के किनारे विभिन्न स्थानों पर बड़े-बड़े खटाल बने हुए हैं. इन खटालों के गोबर और गंदगी से महानंदा नदी प्रदूषित हो रही है. संगठन की ओर से राजेश राय ने जिला अधिकारी के इस निर्देश की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि वह एनजीटी के आदेशों का सम्मान करते हैं, लेकिन आस्था के महापर्व छठपूजा में अनावश्यक दखलंदाजी ठीक नहीं है. मां संतोषी घाट में छठपूजा के मौके पर करीब तीन लाख लोग आते हैं. इनके आने-जाने के लिए अस्थायी पुल की व्यवस्था की जाती है. अब इसी पुल के निर्माण पर रोक लगा दी गयी है. यदि कोई अनहोनी होती है, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी. समरनगर गीता देवी छठ घाट पूजा कमेटी के अध्यक्ष तथा माइक्रो कलाकार रमेश साह ने भी डीएम के इस आदेश की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि छठपूजा से प्रदूषण फैलता नहीं बल्कि कम होता है. पूरे नदी की सफाई हो जाती है. नदी के किनारे पर अवैध कब्जा कर घर बना लिए गये हैं. डीएम को पहले इस पर कार्यवाई करनी चाहिए.समाजसेवी ब्रिज किशोर प्रसाद ने कहा कि छठ पर्व से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है.ऐसे में अचानक नियम निकालना ठीक नहीं है. इस पर्व में नदी व सूर्य की ही पूजा अर्चना की जाती है. ऐसे में नदी में गंदगी फैलाने की तो कोई बात ही नहीं है. दुर्गापूजा के दौरान तो ऐसा डीएम का कोई फरमान तो नहीं आया, फिर छठ पर्व को लेकर ऐसा फरमान क्यों. सालों भर महानंदा में गंदगी गिरती है. उस समय जिला प्रशासन के अधिकारी क्या करते हैं.
लाखों की उमड़ती है भीड़
सिलीगुड़ी शहर में हिंदीभाषियों की संख्या काफी अधिक है. बिहार तथा उत्तर प्रदेश से यहां आये लोग अब सिलीगुड़ी के होकर ही रह गये हैं. परंपरागत तरीके से जोश एवं उल्लास के साथ सिलीगुड़ी में हिंदीभाषी समाज के लोग छठ पूजा मनाते हैं. कई मामलों में तो बिहार से भी अधिक यहां छठ घाटों की सजावट की जाती है. मुख्य रूप से गीता देवी घाट, लालमोहन मौलिक घाट, गुरूंगबस्ती घाट, धर्मनगर घाट, मां संतोषी नगर घाट, गंगानगर घाट और समरनगर घाट, नौकाघाट आदि घाटों पर छठपूजा के मौके पर दो दिन लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है.
क्या है निर्देश
एनजीटी के आदेश पर दार्जिलिंग की जिला अधिकारी जयश्री दासगुप्ता ने जो निर्देश जारी किया है, उसके अनुसार किसी भी समारोह के बाद फूल या किसी अन्य चीज को नदी में फेंकने पर रोक लगा दी गयी है. इसके अलावा नदी के अंदर छठ घाट बनाने की भी मनाही है. छठ घाट नदी किनारे तीन फीट दूर बनाने का निर्देश दिया गया है. नदी घाटों में अस्थायी पुल बनाने पर भी रोक लगा दी गयी है.इसके साथ ही बोरे में बालू-पत्थर भर कर छठ घाट बनाने पर भी मनाही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें