रविवार को पटना में राजद नेता लालू यादव की रैली में शामिल होने गयीं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एनसीपी अध्यक्ष शरद यादव, तारिक अनवर तथा प्रफुल्ल पटेल से बातचीत की. उन्होने एनसीपी नेताओं को साफ-साफ बता दिया कि उनकी सरकार पहाड़ पर शांति चाहती है और इसके लिए हर आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं.
29 तारीख को पहाड़ की समस्या को लेकर कोलकाता में सर्वदलीय बैठक भी बुलायी गयी है. इन नेताओं के बीच देश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति पर भी चर्चा हुई. पार्टी के दार्जिलिंग जिलाध्यक्ष फैजल अहमद के हवाले से बताया गया है कि रविवार को पटना के गांधी मैदान में हुई विपक्षी दलों की एकजुटता के दौरान गोरखालैंड के मसले पर केंद्रीय अध्यक्ष शरद पवार, सांसद तारिक अनवर और पूर्वोत्तर के प्रभारी प्रफुल्ल पटेल के साथ पश्चिमबंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बातचीत हुई है. इस दौरान एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं ने ममता बनर्जी से पहाड़ के वर्तमान हालात पर चर्चा की है. प्रफुल्ल पटेल ने मुख्यमंत्री से कहा कि पहाड़ पर जनजीवन 75 दिनों से ठप है.
इंटरनेट समेत स्कूल कॉलेजों के बंद रहने से विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर है. यह भी बताया कि विभिन्न बम कांडों में गोजमुमो अध्यक्ष विमल गुरंग और युवा नेता प्रकाश गुरंग को झूठे मामलों में फंसाया गया है. इन मामलों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिये. 29 अगस्त को कोलकाता में होने वाली सर्वदलीय बैठक के मद्देनजर कहा कि पहाड़ के विकास के लिये जरूरी है कि वहां शांति कायम हो. गोरखा समुदाय की पहचान के लिये राज्य गठन जरूरी है.
इसके लिये राज्य व केंद्र सरकार बातचीत करें. पहाड़ के नेता विमल गुरूंग हैं और उनसे बातचीत के जरिये ही पहाड़ के संकट का समाधान संभव है. प्रफुल्ल पटेल ने कहा है कि एनसीपी गोरखालैंड राज्य के लिये आंदोलन का समर्थन करती है और आगे भी करती रहेगी जब तक राज्य का गठन नहीं हो जाता. श्री अहमद ने यह भी बताया कि पटना की रैली से पहले शरद पवार बीमार पड़ गये थे और रैली में शामिल नहीं हो सके थे. सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा, केंद्र सरकार अभी तक गोरखालैंड पर अपना स्टैंड स्पष्ट नहीं कर रही है.
भाजपा को उसका 2014 के लोकसभा चुनाव में दिये गये वायदे को याद दिलाते हुए कहा कि केंद्र को यह स्पष्ट करना होगा कि वह गोरखालैंड राज्य के पक्ष में है या नहीं. यह भी कहा कि यदि गोजमुमो अध्यक्ष विमल गुरूंग चाहें तो एनसीपी दिल्ली में गोरखालैंड राज्य को लेकर बैठक करवाने के लिये तैयार है. हाल में गोरखालैंड राज्य के आंदोलन से अपना समर्थन वापस लिये जाने पर कहा कि गोजमुमो में ही कुछ नेता पार्टी को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं. यही वजह है कि कुछ दिनों पूर्व एनसीपी ने अपना समर्थन वापस लिया था. हालांकि अब भी एनसीपी का दरवाजा विमल गुरुंग के लिये खुला है. वे जब चाहें तो बात कर सकते हैं.