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शाह ने भी गोरखालैंड से झाड़ा पल्ला
सिलीगुड़ी : केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी गोरखालैंड मुद्दे से किनारा कर लिया है. अमित शाह ने साफ-साफ कहा है कि गोरखालैंड की मांग कर रहे गोजमुमो को राज्य सरकार के साथ बातचीत करनी चाहिए. यह राज्य सरकार का विषय है और राज्य सरकार को भी इस समस्या […]
सिलीगुड़ी : केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी गोरखालैंड मुद्दे से किनारा कर लिया है. अमित शाह ने साफ-साफ कहा है कि गोरखालैंड की मांग कर रहे गोजमुमो को राज्य सरकार के साथ बातचीत करनी चाहिए. यह राज्य सरकार का विषय है और राज्य सरकार को भी इस समस्या से निपटने की पहल करनी चाहिए.इसके साथ ही श्री शाह ने दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में जारी बेमियादी बंद खत्म करने का अनुरोध भी गोजमुमो से किया है.
इससे पहले जब गोजमुमो तथा जीएमसीसी नेता जब केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह में मिले थे,तब भी उन्होंने राज्य सरकार से बातचीत करने के लिए कहा था. नयी दिल्ली में एनसीपी की राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर सीमा मल्लिक से मुलाकात के बाद वह संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे. डॉ मल्लकि गुरुवार को गोरखालैंड मुद्दे पर बातचीत के लिए नयी दिल्ली में अमित शाह से मिलने गयी थी. डॉ मल्लिक ने भी बताया है कि दार्जिलिंग पहाड़ की हालत काफी खराब है. पिछले 70 दिनों से वहां बेमियादी बंद है और इंटरनेट तक की व्यवस्था नहीं है. इस समस्या के तत्काल समाधान के लिए ही वह अमित शाह से मिलने गयी थी. डॉ मल्लिक ने आगे बताया कि उनकी पार्टी गोरखालैंड मूवमेंट को-ऑर्डिनेशन कमेटी (जीएमसीसी) से भले ही अलग हो गयी हो लेकिन एनसीपी अलग गोरखालैंड राज्य की मांग का समर्थन करती है. इसको लेकर एनसीपी के कुछ सांसद शीघ्र ही दार्जिलिंग जाने वाले हैं. एनसीपी ने इस मुद्दे को संसद में भी उठाया है.
एनसीपी का मानना है कि गोरखा अपनी पहचान के लिए अलग राज्य की मांग कर रहे हैं और उन्हें यह पहचान मिलनी ही चाहिए. इस बीच एनसीपी अध्यक्ष शरद पावर ने भी 27 अगस्त को गोरखा संयुक्त संग्राम समिति द्वारा दिल्ली के जंतर मंतर पर आयेाजित महा अनशन का समर्थन किया है. उन्होंने इस आशय की चिट्ठी भी संगठन के प्रमुख राजीव शर्माको दी है. हालांकि शरद पावर स्वयं अनशन स्थ्ल पर उपस्थित नहीं रह सकेंगे. अनशन में भाग लेने के लिए पार्टी के दार्जिलिंग जिला अध्यक्ष फैजल अहमद नयी दिल्ली जा रहे हैं. उन्होंने बताया है कि उनकी पार्टी जीएमसीसी से अलग हुई है लेकिन गोरखालैंड आंदोलन का समर्थन जारी रहेगा.
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