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पांच साल बाद भी इंसाफ की आस में परिवार

सिलीगुड़ी. कहते है लालच बुरी बला है. नौ लाख रुपये की लालच ने एक व्यक्ति को काल की गोद में धकेल दिया और उसके तीन साथियों पर हत्या का मामला अदालत में विचाराधीन है. एक दूसरे को धोखा देकर सभी रुपये हड़पने की लालसा चारों के जीवन पर भारी पर गया. पांच वर्ष पुराने इस […]

सिलीगुड़ी. कहते है लालच बुरी बला है. नौ लाख रुपये की लालच ने एक व्यक्ति को काल की गोद में धकेल दिया और उसके तीन साथियों पर हत्या का मामला अदालत में विचाराधीन है. एक दूसरे को धोखा देकर सभी रुपये हड़पने की लालसा चारों के जीवन पर भारी पर गया. पांच वर्ष पुराने इस मामले की जांच पूरी कर पुलिस ने अदालत में चार्जशीट जमा करा दिया है. इस हत्याकांड का ट्रायल शुरू होने वाला है. हत्याकांड के तीन आरोपी जमानत पर बाहर हैं. यह मामला करीब पांच वर्ष पुराना है. साढ़े नौ लाख रूपए की चमक ने एक मध्यम वर्गीय परिवार के बड़े बेटे को निगल लिया. उसी चमक की चकाचौंध में उसके ही तीन साथियो ने उसकी हत्या कर दी.

सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नरेट के खालपाड़ा पुलिस चौकी अंतर्गत नया बाजार शहर का सबसे बड़ा गल्ले माल का बाजार है. नगर निगम के वार्ड नंबर 46 स्थित चंपासारी निवासी आशीष दत्ता यहां के एक व्यवसायी श्याम सुंदर अग्रवाल का कर्मचारी था. काफी कम समय में वह मालिक का इतना बड़ा विश्वासपात्र बन गया कि गद्दी का सारा काम वह ही करने लगा.बाद में विश्वासपात्र बनकर विश्वासघात करने जैसा यह मामला हो गया. वर्ष 2012 के फरवरी माह में आशीष करीब साढ़े नौ लाख रूपया बैंक में जमा करने चला. रूपय ना ही बैंक में जमा हुए और ना ही आशीष वापस आया. दगाबाजी की भनक लगते ही व्यापारी पुलिस के पास पहुंचा और अशीष के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी. शिकायत दर्ज होते ही पुलिस अशीष के खोज में निकली. उसका मोबाइल बंद पाये जाने पर पुलिस ने उसके कॉल रिकॉर्ड को खंगाला. आशीष का व्यापारी के पुराने ड्राइवर मुहम्मद तहिरूल के साथ लगातार बातचीत पुलिस को संदेहास्पद लगा. वारदात के दिन भी आशीष तहिरूल के साथ संपर्क में था. फिर पुलिस ने तहिरूल का कॉल रिकॉर्ड निकाला उससे दो और नाम जाकिर अली व मुहम्मद रफिकुल सामने आया. फिर अचानक आशीष का मोबाइल फोन एक्टिव हुआ. इस फोन को ट्रैक कर पुलिस फूलबाड़ी स्थित तहिरूल के घर पहुंची.

परिवार वालों से मिली जानकारी के आधार पर रायगंज से तहिरूल की गिरफ्तारी हुयी. तहिरूल के खिलाफ उत्तर बंगाल के कई थानों में विभिन्न तरह के मामले पहले से दर्ज थे. एक दिन की कड़ी पूछताछ में उसने सब कुछ बयां कर दिया. उसी ने बताया कि पुलिस को बताया कि आशीष की मौत हो चुकी है.
अपने मालिक के साथ किया विश्वासघात
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अाशीष ने अपने मालिक के साथ विश्वासघात कर साढ़े नौ लाख रुपये गबन करने का प्लान बनाया और इन तीनों ने आशीष को मारकर उससे सारे पैसे हड़पने की योजना बनायी. बैंक में जमा कराने के नाम पर आशीष गद्दी से रूपए उड़ाकर तहिरूल के पास पहुंचा. तहिरूल व उसके दो साथी आशीष को लेकर फूलबाड़ी बैरेज के सुनसान इलाके में पहुंचे. जहां गला घोट कर उसकी हत्या कर दी गयी. इसके बाद उसने रूपए को अपने घर में छिपा दिया.

फिर उसी रात आशीष के शव को अपने खेत के एक कोने में दफना दिया. वारदात की पूरी कहानी सुनकर पुलिस भी दंग रह गयी. धोखे के इस मामले ने व्यापारी श्याम सुंदर अग्रवाल और मृत आशीष के परिवार वालों को सदमे में धकेल दिया. तहिरूल के साथ पुलिस ने मिट्टी खोद कर आशीष का शव और रूपया बरामद किया. आशीष के परिवार वालों ने शव की शिनाख्त की. फिर शव का पोस्टमार्टम कराया गया. आशीष का परिवार गरीबी में दिन गुजार रहा है. अपना वकील रखकर दोषियों को सजा दिलाये, इतना दम नहीं है. फिर भी पिछले पांच वर्षों से आशीष के पिता इंसाफ की आस लगाये बैठे हैं. उन्होंने बताया कि बड़े बेटे की हत्या की घटना सुनकर उसकी मां सदमें में चली गयी है. छोटा बेटा ट्यूशन व अन्य छोटा-मोटा काम कर परिवार का भरण-पोषण कर रहा है. इस कांड को हुए पांच वर्ष बीत चुके हैं. उन्हें भरोसा है कि उनके साथ इंसाफ होगा.

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