इंग्लिशबाजार नगरपालिका ने ब्लड बैंक बनाने की पहल की है, लेकिन जबतक इसे वास्तविक रूप नहीं मिलता तबतक संकट कायम रहेगा. जिले में करीब 750 थैलेसीमिया मरीजों को नियमित रक्त की आवश्यकता होने से स्थिति और भी खराब हो गई है. इसके साथ झारखंड समेत अन्य जगहों से और करीब 50 थैलसीमिया के मरीज यहां पहुंच रहे हैं. इनके लिए रक्त का इंतजाम करने के लिए मालदा मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक से ही रक्त मुहैया कराना पड़ रहा है. मालदा मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में करीब 900 यूनिट रक्त संरक्षित रखने की व्यवस्था है, लेकिन अधिकतर समय में इसका एक चौथाई भी नहीं रहता है. प्रतिदिन जिले में 60 से 70 यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है.
इनमें 55 फीसदी रक्त मेडिकल कॉलेज में भरती मरीजों के लिए ही आवश्यक होती है. बाकी यूनिट रक्त विभिन्न नर्सिंग होम एवं निजी स्वास्थ्य संस्थान के मरीजों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है. स्वयंसेवी संगठन भारत स्काउट एंड गाइड के जिला सचिव निरंजन प्रामाणिक ने बताया कि जिले में छिटपुट रूप से रक्तदान शिविर आयोजित किए जा रहे हैं. इसमें रक्त संग्रह अधिक नहीं हो रहा है.
इंग्लिशबाजार थाना समेत कई थानों में पुलिस कर्मियों ने रक्तदान किया. जितने रक्त की आवश्यकता है उसकी तुलना में शिविर की संख्या बहुत कम है. पुलिस कर्मी इसके लिए आगे आए, लेकिन इंग्लिशबाजार, गाजोल व ओल्ड मालदा के अलावा ब्लाक प्रशासन के प्रयास से आयोजित शिविरों में पर्याप्त रक्त नहीं मिले. मालदा मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक के मेडिकल आफिसर डा़ प्रलय दास ने भारी रक्त संकट की बात को स्वीकार कर लिया है. उन्होंने बताया कि 2016 में यह ब्लड बैंक से 19000 यूनिट रक्त दिए गए. हालांकि उन्होंने बताया कि चांचल में एक और ब्लड बैंक जल्द चालू होने जा रहा है. ढांचा बनाने का काम करीब समाप्त हो गया है. इससे समस्या में कमी आ सकती है. अगस्त महीने में भी जिले में कई रक्तदान शिविर आयोजित करने की योजना है.