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तीस्ता से जल्पेश तक हाइवे जाम

सिलीगुड़ी. श्रावणी सोमवार से जलापाईगुड़ी जिले अंतर्गत तीस्ता से जल्पेश तक का एशियन हाइवे दो दिनों तक जाम से जुझता रहता है. इस हाइवे पर तकरीबन 30 किमी तक सावन महीने के प्रत्येक रविवार और सोमवार को हमेशा भारी वाहनों की ठेलम-ठेल लगी रहती है. इसकी खास वजह पांच सौ वर्ष पुराना एतिहासिक शिवालय जल्पेश […]

सिलीगुड़ी. श्रावणी सोमवार से जलापाईगुड़ी जिले अंतर्गत तीस्ता से जल्पेश तक का एशियन हाइवे दो दिनों तक जाम से जुझता रहता है. इस हाइवे पर तकरीबन 30 किमी तक सावन महीने के प्रत्येक रविवार और सोमवार को हमेशा भारी वाहनों की ठेलम-ठेल लगी रहती है. इसकी खास वजह पांच सौ वर्ष पुराना एतिहासिक शिवालय जल्पेश धाम है. जिसे उत्तर बंगाल का वैद्यनाथ धाम यानी देवघर माना जाता है. लोगों का आरोप है कि श्रावणी सोमवार के दो दिनों तक हाइवे पर जाम की वजह हाइव ऑथोरिटी और ट्रॉफिक पुलिस की लापरवाही है.
ऐसी बात नहीं है कि हाइवे पर दोनों दिन ट्रॉफिक नियंत्रण के लिए पुलिस मुश्तैद नहीं रहती है. हाइवे के चप्पे-चप्पे पर पुलिस मुश्तैद रहती है लेकिन केवल मूकदर्शक बनकर.
हाइवे पर इस जाम का खामियाजा लाखों शिवभक्तों को भोगना पड़ता है. शिवभक्तों के साथ ही वाहन चालकों को भी जाम की वजह से वाहन चलाने में काफी असुविधाओं से जुझना पड़ता है.
सावन महीने के प्रत्येक रविवार और सोमवार को इस हाइवे पर वाहने दौड़ती नहीं बल्कि रेंगती है. इसके मद्देनजर नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) के उत्तर बंगाल –सिक्किम क्षेत्र के परियोजना निदेशक आरके चौधरी और जलपाईगुड़ी जिले के यातायात पुलिस अधिक्षक (एसपी, ट्रॉफिक) असीम मजूमदार दोनों से उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन बात नहीं हो सकी.
शिवभक्तों के लिए हाइवे हो जाम मुक्त
सिलीगुड़ी के आदर्शपल्ली निवासी राजेश सहनी जो कि रविवार की रात को जल्पेश जा रहते थे ने कहा कि हाइवे पर जाम की वजह से वह और उनके ग्रुप के साथी सात घंटे की देरी से जल्पेश धाम पहुंचे.
श्री सहनी का कहना है कि जल्पेश धाम तक पहुंचने में शिवभक्तों को किसी तरह की असुविधा न हो इसके लिए या तो तीस्ता से जल्पेश धाम तक एक अलग वैकल्पिक रास्ता बनाया जाये या फिर हाइवे को सावन महीने के केवल रविवार और सोमवार प्रत्येक सप्ताह दो दिन शिवभक्तों के लिए जाम मुक्त रखा जाये.
इसके लिए शासन-प्रशासन को मिलकर वाहनों के रुट में बदलाव करना चाहिए या फिर दो दिनों तक माल वाहक वाहनों का इस रुट पर परिचालन पूरी तरह बंद कर देना चाहिए.
जाम में फंसने से होता है नुकसान
वाहन चालकों का कहना है कि जाम में लगातार कई घंटे फंसे रहने की वजह काफी आर्थिक नुकसान होता है.
ऑल इंडिया परमिट वाले बिहार नंबर वाले एक भारी वाहन ट्रेलर के चालक संतोष महतो का कहना है कि घंटों-घंटों जाम में फंसने की वजह से जहां तेल अधिक खपत होती है वहीं, अन्य खर्च भी काफी बढ़ जाते हैं. साथ ही वाहन का माल समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंचाने पर माल मालिक भी किराये में कटौती कर देते हैं. जिससे काफी नुकसान होता है.
सावन में जल्पेश का खास महत्व
सावन महीने में इस एतिहासिक मंदिर जल्पेश का भी खास महत्त्व है. खास कर सावन महीने के प्रत्येक सोमवार को जल्पेश धाम में केवल जलपाईगुड़ी जिले या फिर उत्तर बंगाल से ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य असम, सिक्किम, बिहार के अलावा पड़ोसी देश भूटान, नेपाल, बांग्लादेश से भी लाखों की तादाद में शिव भक्त देवों के देव ‘महादेव’ पर जलाभिषेक करने पहुंचते हैं. जल्पेश धाम के मंदिर गर्भ में पांच सौ साल से भी अधिक समय से विराजमान भोलेनाथ पर जलाभिषेक करने के लिए शिव भक्त मंदिर से 18-20 किमी दूर रविवार या फिर सोमवार को तीस्ता में आस्था की डुबकी लगाकर बाबाके जलाभिषेक के लिए कलश में जल भरते हैं और बम-बम भोले का जयकारा लगाकर पदयात्रा करते हुए जल्पेश की ओर रुख करते हैं.
जल्पेश तक पहुचंने का एकमात्र रास्ता एशियन हाइवे
तीस्ता से जल्पेश धाम तक पहुंचने का एकमात्र मुख्य रास्ता एशियन हाइवे ही है. श्रावणी सोमवार के कारण इस हाइवे पर रविवार और सोमवार को शिवभक्तों दिन-रात तांता लगा रहता है. यहीं वजह है कि तीस्ता से जल्पेश तक का यह हाइवे केवल 18-20 किमी तक ही नहीं बल्कि 25-30 किमी तक वाहनों की लंबी जाम लग जाती है. इस वजह से पद यात्रा करनेवाले शिवभक्तों को मंदिर तक पहुंचने में चार से छह से घंटे वहीं, वाहनों पर लद कर जानेवाले शिवभक्तों को उल्टा पांच से आठ घंटे तक लग जाते हैं.

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