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फीस वृद्धि के मामले में क्यों नहीं कानून बना रही है राज्य सरकार

निजी स्कूल फीस में अनियंत्रित वृद्धि के संबंध में दायर एक मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि राज्य में कई निजी स्कूलों में स्कूल फीस में वृद्धि के संबंध में कई आवेदन प्रस्तुत किये गये हैं.

सुनवाई के दौरान न्यायाधीश विश्वजीत बसु ने की टिप्पणी, कहा – यहां क्यों नहीं अपनाया जा रहा है राजस्थान मॉडल? कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विश्वजीत बसु ने बुधवार को राज्य के निजी स्कूलों की मासिक फीस वृद्धि पर चिंता व्यक्त की है. एक मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु ने सवाल उठाया कि राज्य सरकार कानून पारित करके इस शुल्क वृद्धि को सीधे नियंत्रित क्यों नहीं कर रही है. उन्होंने इस मामले पर राज्य के शिक्षा मंत्री से जवाब तलब किया है. निजी स्कूल फीस में अनियंत्रित वृद्धि के संबंध में दायर एक मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि राज्य में कई निजी स्कूलों में स्कूल फीस में वृद्धि के संबंध में कई आवेदन प्रस्तुत किये गये हैं. कई मामलों में शुल्क में वृद्धि अनुचित है. उन्होंने राज्य से पूछा कि इस पर नियंत्रण करने के लिए राज्य सरकार क्यों कोई कदम नहीं उठा रही? उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को इस राज्य में शिक्षा प्रणाली के संबंध में कुछ कदम उठाने की जरूरत है. उनकी टिप्पणी है कि राजस्थान मॉडल यहां क्यों नहीं अपनाया जा रहा है? न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु ने आगे कहा कि जिस प्रकार से राजस्थान सरकार निजी शिक्षण संस्थानों के पूरे सिस्टम पर नजर रखती है, वैसे ही पश्चिम बंगाल सरकार क्यों नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि अदालत सभी मामलों में आदेश जारी नहीं कर सकती. उन्होंने राज्य के वकील से कहा कि राज्य सरकार अन्य विधेयकों की तरह इस मामले पर भी निर्णय ले सकती है. ऐसा क्यों नहीं हो रहा है? उन्होंने कहा कि राज्य के शिक्षा मंत्री इस बारे में क्यों नहीं सोच रहे हैं? अदालत ने कहा कि राज्य सरकार विधानसभा में विधेयक पारित कर इसे नियंत्रित कर सकती है. न्यायाधीश ने राज्य सरकार से पूछा कि यदि कोई शिकायत नहीं है तो भी एनसीटीइ के दिशा-निर्देशों के अनुसार शिक्षकों को शिक्षा प्रदान करने के मुद्दे पर ध्यान क्यों नहीं दिया जायेगा. न्यायाधीश ने कहा कि राज्य सरकार का हमेशा से यही कहना होता है कि हम उन्हें कोई आर्थिक मदद नहीं देते हैं, इसलिए हमारा उन पर कोई नियंत्रण नहीं है. लेकिन राज्य सरकार इस तरह से अपनी आंखें मूंद नहीं सकती. इसके बाद उन्होंने राज्य के महाधिवक्ता को निर्देश दिया कि वह मंत्री से बात करें और अगले शुक्रवार को अदालत को राज्य की स्थिति से अवगत करायें.

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Prabhat Khabar News Desk
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