कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद बापी हाल्दार ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला उठाया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि मनरेगा के तहत राशि जारी करने के संबंध में पूछे गये सवालों के उनके मौखिक और लिखित जवाबों में विरोधाभास है. लोकसभा अध्यक्ष को संबोधित एक पत्र में श्री हाल्दार ने लोकसभा की कार्यवाही नियम 222 का हवाला देते हुए मांग की है कि संसद को ‘गुमराह’ करने के लिए मंत्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा जाना चाहिए. नियम के तहत, कोई भी सदस्य, अध्यक्ष की सहमति से, किसी सदस्य, सदन या उसकी किसी समिति के विशेषाधिकार के उल्लंघन से संबंधित प्रश्न उठा सकता है. हलधर ने कहा, ‘चिंताजनक बात यह है कि मेरे तारांकित प्रश्न संख्या 343 के जवाब में, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पुष्टि की है कि पश्चिम बंगाल को 2021 से केंद्र सरकार से मनरेगा के तहत कोई राशि नहीं मिली है.’ हाल्दार ने कहा, ‘उनका लिखित जवाब सीधे तौर पर सदन में मंत्री द्वारा दिये गये मौखिक बयान का खंडन करता है, जिससे संसद को गुमराह किया जा रहा है और जानबूझकर इसकी कार्यवाही की शुचिता का उल्लंघन किया जा रहा है.’ उन्होंने कहा कि मंत्री ने सदन में ‘झूठा दावा’ किया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) के तहत तमिलनाडु को उत्तर प्रदेश से अधिक धनराशि प्राप्त हुई है. श्री हलदर ने कहा, ‘हालांकि, लिखित जवाब में दिये गये आंकड़े उनके दावे का खंडन करते हैं, जो स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि चालू वित्त वर्ष के लिए उत्तर प्रदेश को तमिलनाडु की तुलना में अधिक धनराशि प्राप्त हुई है.’’तृणमूल सांसद ने मंत्री पर संसद में तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का आरोप लगाया और कहा कि यह विशेषाधिकार का गंभीर उल्लंघन है, क्योंकि यह सदस्यों को सच्ची और सटीक जानकारी के आधार पर अपने कर्तव्यों का पालन करने से रोकता है. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से इस मामले को विशेषाधिकार समिति को भेजने का आग्रह किया.
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