संवाददाता, कोलकाता रवींद्र भारती विश्वविद्यालय (आरबीयू) के कार्यवाहक कुलपति शुभ्र कमल मुखर्जी बुधवार को जोड़ासांको परिसर स्थित अपने कक्ष में पहुंचे. एक दिन पहले तृणमूल कांग्रेस की छात्र शाखा के सदस्यों ने उन्हें कक्ष में जाने से रोक दिया था. अदालत के आदेश के बाद पुलिसकर्मियों के सुरक्षा घेरे में वह परिसर में गये. तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) के करीब 30 सदस्यों ने मंगलवार को उनके कक्ष में ताला लगा दिया और दावा किया कि मुखर्जी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कुछ नीतिगत फैसले ले रहे हैं. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि मुखर्जी को परिसर में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता और पुलिस को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसके बाद कार्यवाहक कुलपति परिसर के अंदर पहुंच पाये और उनके कक्ष का ताला खोल दिया गया. कुछ प्रदर्शनकारियों के व्यवहार पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए मुखर्जी ने अपने कक्ष में संवाददाताओं से कहा : मुझे लगता है कि प्रदर्शन के पीछे ज्यादातर लोग बाहरी हैं और वे आम छात्रों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. प्रदर्शनकारियों द्वारा उठाये जा रहे सवालों पर उन्होंने कहा : मुझे राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया गया है, जो इस संस्थान के कुलाधिपति हैं. नियुक्त होने के बाद से मैंने जो भी निर्णय लिए हैं, वे कानूनी दायरे में हैं. श्री मुखर्जी ने कहा : मैं विश्वविद्यालय में एक समूह के गलत कृत्यों को उजागर कर रहा था, इसलिए डर से वे प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि उच्च शिक्षा विभाग के कुछ लोगों ने प्रदर्शनकारियों को उन्हें परिसर छोड़ने के लिए मजबूर करने को लेकर ‘भड़काया’ होगा. उन्होंने कहा : जब तक कुलाधिपति मुझे पद पर बनाये रखेंगे, तब तक ये तत्व मुझे रोक नहीं पायेंगे. गौरतलब है कि टीएमसीपी के सदस्यों ने 25 मार्च को कार्यवाहक कुलपति को कक्ष में प्रवेश करने से रोक दिया और उन्हें तत्काल हटाने की मांग करते हुए नारे लगाये थे. मुखर्जी द्वारा आरबीयू की निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था कार्यकारी परिषद की बैठक बुलाने और महत्वपूर्ण प्रशासनिक और शैक्षणिक मामलों पर निर्णय लेने के कुछ दिनों बाद यह प्रदर्शन हुआ. राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मुखर्जी को 2023 में अंतरिम कुलपति नियुक्त किया था. तब से वह अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं.
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