आरोपित अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के आदेश को उचित बताया कोलकाता. पश्चिम मेदिनीपुर थाना क्षेत्र में दो छात्र नेता एआइडीएसओ की सुश्रीता सोरेन और एसएफआइ की सुचरिता दास ने पुलिस पर थाने में ले जाकर उत्पीड़न करने का गंभीर आरोप लगाया था. इस मामले में दायर याचिका पर कलकत्ता हाइकोर्ट की सिंगल बेंच ने विशेष जांच दल (एसआइटी) गठन कर जांच का आदेश दिया था. राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ हाइकोर्ट के डिवीजन बेंच में अपील की थी. बुधवार को न्यायमूर्ति देवांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखा और राज्य की अपील खारिज कर दी. अदालत ने स्पष्ट किया कि एसआइटी द्वारा जांच और आरोपित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का आदेश पूरी तरह उचित है, इसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है. सुनवाई के दौरान राज्य के अधिवक्ताओं की बार-बार गैरहाजिरी पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जतायी है. न्यायमूर्ति देवांग्शु बसाक ने टिप्पणी की कि ऐसे अधिवक्ता राज्य के लिए एक प्रकार के बोझ हैं. अंततः देर से एक अधिवक्ता पेश हुए और यह दलील दी कि जब एसआइटी जांच कर रही है तो मानवाधिकार आयोग को समानांतर जांच नहीं करनी चाहिए. हालांकि, अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए राज्य की दोनों अर्जियां खारिज कर दी. गौरतलब है कि गत एक मार्च को तृणमूल समर्थित प्राध्यापकों के संगठन ‘वेबकूपा’ के वार्षिक सम्मेलन को लेकर जादवपुर विश्वविद्यालय में विवाद हुआ था, जिसमें एक छात्र घायल हो गया था. इसके विरोध में तीन मार्च को डीएसओ और एसएफआइ समेत कई वामपंथी छात्र संगठनों ने हड़ताल का आह्वान किया था. मेदिनीपुर कॉलेज में भी इस दौरान आंदोलन हुआ, जहां पुलिस पर छात्र नेताओं ने महिला थाने में अमानवीय व्यवहार करने का आरोप लगाया था. इसी मामले में दाखिल याचिका पर हाइकोर्ट ने अब सिंगल बेंच के आदेश को ही बरकरार रखा है.
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