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जूट की खुदरा कीमत में रिकॉर्ड वृद्धि 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल पहुंची

जूट मिलें बंद होने के कगार पर

जूट मिलें बंद होने के कगार पर

कोलकाता. भारत के इतिहास में पहली बार कच्चे जूट की कीमत 10,000 रुपये प्रति क्विंटल का आंकड़ा पार कर गयी है. जूट बेलर्स एसोसिएशन ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की. कच्चे जूट की कीमत में यह वृद्धि होने के बाद अब देश की आधे से अधिक जूट मिलें मार्च 2026 तक बंद होने की कगार पर पहुंच गयीं हैं. बताया गया है कि टीडी-5 ग्रेड दक्षिण बंगाल जूट का कोटेशन गुरुवार को मिल डिलीवरी के लिए 10,000 रुपये प्रति क्विंटल पर तय किया गया है. उच्च ग्रेड पश्चिम बंगाल किस्में 10,050-10,550 रुपये प्रति क्विंटल में बिक रही हैं. इस बढ़ी कीमत से जूट किसानों को लाभ पहुंच रहा है, लेकिन जूट मिलों पर नुकसान का बोझ बढ़ता जा रहा है. किसान अब अपनी उत्पादन लागत का 1.5 गुना रिटर्न प्राप्त कर रहे हैं. इससे पहले 2024-25 में जब सरकार ने न्यूनतम समर्थन कीमत (एमएसपी) 5,650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था, तब किसानाें को 11 प्रतिशत कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर किया गया था. लेकिन इस बार कच्चे जूट की कीमत में वृद्धि का यह समय जूट किसानों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जो साल भर से भारी नुकसान झेल रहे थे.

किसानों का यह लाभ जूट मिलों के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो रहा है. भारतीय जूट मिल एसोसिएशन (आइजेएमए) ने चेतावनी दी है कि मौजूदा कीमत संरचना आधी मिलों के लिए अव्यवहारिक है. मार्च 2026 तक देश की आधी से अधिक जूट मिलें बंद हो सकती हैं. संगठन ने बताया कि 10 मिलें पहले से ही बंद होने के कगार पर हैं.

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