वकीलों पर बशीरहाट अदालत के जज के साथ दुर्व्यवहार करने का है आरोप
जज ने जिला न्यायाधीश व हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से की शिकायत
संवाददाता, कोलकाता.
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अदालत की अवमानना के एक मामले में बशीरहाट अदालत के छह वकीलों द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है. बुधवार को छह वकीलों ने हाइकोर्ट में अपील करते हुए कहा कि वे दोबारा चुनाव में खड़े नहीं होना चाहते, बस इस बार उन्हें माफ कर दिया जाये. लेकिन कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने बशीरहाट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव सहित छह वकीलों की याचिका को खारिज कर दिया और उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना का आदेश जारी किया. बशीरहाट अदालत के जज के उत्पीड़न के मामले में भाग लेने वालों को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक ने कहा कि इन लोगों को किसी भी अदालत क्या, यहां तक कि बार में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. वे 12 साल तक नहीं समझे, अब क्या समझेंगे. गौरतलब है कि बशीरहाट कोर्ट के जज ने अदालत के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व सचिव सहित अन्य अधिवक्ताओं पर उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. इसे लेकर जज ने जिला न्यायाधीश व हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था. हाइकोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला शुरू किया है, जिस पर बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने यह टिप्पणी की.
छह आरोपी वकीलों की ओर से अधिवक्ता ने अदालत में कहा कि इन्हें कोई छोटा-मोटा दंड दिया जाये. इनका भी परिवार है. ये अब आगे से बार एसोसिएशन के किसी चुनाव में खड़े नहीं होंगे. लेकिन अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि अभी हम उन्हें जाने दे रहे हैं. अदालत के लिखित आदेश के बाद घटना का पुनरावृत्ति हुई थी, यह बर्दाश्त नहीं है. क्या और लोगों के परिवार नहीं हैं? इस घटना से बशीरहाट क्रिमिनल बार एसोसिएशन की क्या छवि बनी है? न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक की खंडपीठ ने कहा कि इन लोगों को तो जेल भेज देना चाहिए.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है