कोलकाता.
राज्य के सत्ता परिवर्तन होने के बाद नयी सरकार ने यहां के सरकारी कार्यालयों को नीला व सफेद रंग से रंगने का निर्देश दिया था. सरकारी कार्यालय के साथ-साथ ट्रैफिक गार्ड के गार्डवॉल को भी नीला व सफेद रंग से रंग दिया गया है. इसे लेकर हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी, जिस पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह के अंदर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है. गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति चैताली चटर्जी (दास) की खंडपीठ के समक्ष वादी ने आरोप लगाया कि सड़कों को वाहन चालकों के लिए सुरक्षित स्थान बनाने में प्रत्येक रंग का अपना महत्व है और इन रंगों का चयन वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है. भारतीय सड़क कांग्रेस ने इस संबंध में विशेष दिशानिर्देश और सिफारिशें की हैं.उन सिफारिशों के अनुसार, सभी राज्य सड़कों पर अलग-अलग रंगों जैसे पीला, सफेद, काला आदि का इस्तेमाल किया जाता है. याचिकाकर्ता का आरोप है कि बंगाल में सिर्फ राष्ट्रीय राजमार्गों पर इस नियम का पालन किया जाता है, जबकि राज्य सड़कों पर नहीं. राज्य सड़क के चिह्न अवैज्ञानिक तरीके से नीले और सफेद रंग से अंकित किये गये हैं.
इस तर्क के जवाब में राज्य की ओर से महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि भारतीय सड़क कांग्रेस की सिफारिशों को मानने की कोई बाध्यता नहीं है.राज्य सरकार इस संबंध में एक हलफनामा दायर करना चाहती है. इसके बाद मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य को तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया.
हालांकि, इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा था : यह तो अच्छा हुआ कि जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच हाइकोर्ट की निगरानी में बना है. नहीं तो आपलोग उसे भी नीला व सफेद रंग से रंग देते. मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद हाइकोर्ट में होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है