नागरिक समाज ने निकाली रैली, अन्य संगठन के सदस्य भी हुए शामिल
संवाददाता, कोलकाताजादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) में प्रदर्शनकारी वाम छात्रों ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि यदि प्रबंधन एक मार्च की घटना के बाद उत्पन्न गतिरोध को दूर करने के लिए तत्काल उनसे बातचीत करने में विफल रहता है, तो वे 10 मार्च को अपराह्न दो बजे से संस्थान का प्रशासनिक कार्य पूरी तरह बंद कर देंगे. परिसर में वाम छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के दौरान पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु की कार और उनके साथ चल रहे एक अन्य वाहन से कथित रूप से टक्कर लगने से दो छात्र घायल हो गए थे. माकपा की छात्र शाखा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआइ), ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआइडीएसओ), रिवोल्यूशनरी स्टूडेंट्स फ्रंट (आरएसएफ) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआइएसए) से जुड़े छात्र अपनी मांगों को लेकर संस्थान के प्रशासनिक भवन के सामने अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से विश्वास बहाली के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया और कहा कि यह तभी संभव है, जब विश्वविद्यालय स्थिति के समाधान में सक्रिय हो.एसएफआइ की जेयू इकाई के नेता रसेल परवेज ने कहा : अगर जादवपुर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई भी आंदोलनकारी छात्रों से बातचीत के लिए नहीं बैठता है, तो हम 10 मार्च को अपराह्न दो बजे के बाद प्रशासनिक भवन को अनिश्चितकाल के लिए पूरी तरह बंद कर देंगे. छात्रों की मांगों में एक मार्च की घटना के सिलसिले में कुछ प्रदर्शनकारी छात्रों के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज झूठे, मनगढ़ंत मामलों को तुरंत वापस लेना, छात्रों द्वारा अपने मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बनायी गयी मानव शृंखला को पार करने की कथित कोशिश करने के लिए बसु और उनके चालक के खिलाफ दर्ज की गयी प्राथमिकी में विश्वविद्यालय को एक पक्ष बनाना, दो घायल छात्रों के इलाज का खर्च उठाना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि छात्र संघ चुनाव जल्द से जल्द हों.
नागरिक समाज के सदस्यों, एपीडीआर तथा अभय मंच जैसे अधिकार समूहों के कार्यकर्ताओं के साथ छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित प्रशासनिक भवन से दो किलोमीटर दूर गोल पार्क तक रैली निकाली और फिर नारे लगाते हुए वापस परिसर आये. जादवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेयूटीए) के महासचिव पार्थप्रतिम रॉय ने कहा : हम छात्रों से अपील करते हैं कि वे सुनिश्चित करें कि शैक्षणिक गतिविधियां-कक्षाएं एवं सेमेस्टर परीक्षाएं-और शोध कार्य किसी भी तरह से प्रभावित न हों. हम दोनों पक्षों के बीच बातचीत जल्द से जल्द फिर शुरू होने की कामना करते हैं. हालांकि, उनका मानना था कि विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार कुलपति की उपस्थिति के बिना कार्यकारी परिषद की बैठक बुलाना संभव नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है