कोलकाता. महानगर में अब अवैध निर्माण पर नकेल कसने के लिए कोलकाता नगर निगम एक और कदम उठाया है. निगम की ओर से निर्णय लिया गया है कि अगर महानगर में अवैध निर्माण पाया जाता है तो उसे निगम की ओर से तोड़ दिया जायेगा. यहीं नहीं, तोड़ने का खर्च भी इमारत के मालिक से ही वसूला जायेगा. इस संबंध में हाल में ही निगम की ओर से दिशा निर्देश जारी किये गये हैं. इमारत को तोड़ने की लागत के भुगतान के लिए इमारत के मालिकों को डिमांड ड्राफ्ट भेजना होगा. अगर खर्च का भुगतान नहीं किया जाता है तो खर्च को संपत्ति कर से जोड़ दिया जायेगा. गार्डनरीच की घटना के बाद से ही निगम के बिल्डिंग विभाग की परेशानी बढ़ गयी है. ऐसे में शहर में अवैध निर्माण को रोकने के लिए अधिकारी कड़ा रुख अपना रहे हैं. महानगर में म्यूनिसिपल कोर्ट में सुनवाई के बाद अवैध निर्माण की घोषणा की जाती है. कोर्ट के निर्देश पर ही इमारत के अवैध हिस्से को तोड़ा भी जाता है. निगम के बिल्डिंग विभाग द्वारा अवैध निर्माण या इमारत के अवैध हिस्से को तोड़ा जाता है. वहीं, मेयर फिरहाद हकीम भी अवैध निर्माण के प्रति ””जीरो टॉलरेंस”” की नीति अपनाने की बात कह रहे हैं. इसके बाद भी महानगर में अवैध निर्माण पर पूरी तरह से लगाम नहीं लग सका है. ऐसे में निगम के अवैध निर्माण पर नकेल कसने व राजस्व संग्रह को बढ़ाने के लिए उक्त निर्णय लिया है. पता चला है कि इस संबंध में यह निर्णय लिया गया है कि निगम अब स्वयं खतरनाक इमारतों या उनके किसी अवैध हिस्से को ध्वस्त करने के लिए कोलकाता निगम अधिनियम, 1980 के अनुसार अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का खर्च वहन नहीं करेगा. इस बार ध्वस्त करने की पूरी लागत संबंधित अवैध एवं खतरनाक इमारतों के मालिकों से वसूला जायेगा. इसके मालिकों को 15 दिन का समय दिया जायेगा. अन्यथा, यह खर्च की राशि उसके संपत्ति कर से जोड़ दिया जायेगा. बिल्डिंग विभाग की देख-रेख में इस प्रक्रिया को पूरा किया जायेगा. अतीत में नगर निगम ने इन अवैध और खतरनाक ढांचों को ध्वस्त करने के लिए भारी धनराशि खर्च की है. जानकारी के अनुसार ऐसे इमारतों को तोड़ने वाले तीन ठेकेदारों को देय राशि अब लगभग पांच करोड़ रुपये तक पहुंच गयी है. जिसका भुगतान अब तक निगम ने नहीं किया है. ऐसे में इस स्थिति से बाहर निकलने का यही एकमात्र रास्ता है. इस संबंध में नगर निगम आयुक्त धबल जैन ने बताया कि इमारतो के अवैध हिस्से को तोड़ने से पहले खर्च के भुगतान के लिए मालिक को नोटिस भेजा जायेगा. खर्च का भुगतान करने के बाद ही उसे अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मिलेगा. फलस्वरूप अब राजकोष का पैसा बर्बाद नहीं होगा. इसके अलावा अवैध निर्माण पर भी कुछ हद तक अंकुश लगेगा.
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