कोलकाता : नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर कथित बयानबाजी के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया.
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि वे इस पर सुनवाई नहीं करेंगे, लेकिन वो ये नहीं कह रहे कि मामला महत्वपूर्ण नहीं है. याचिकाकर्ता इस मामले को हाईकोर्ट ले जा सकते हैं. दरअसल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी थी. याचिका में मांग की गयी थी कि वो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हटाने के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को निर्देश दिया जाये.
‘याचिका में ये भी कहा गया था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह की मांग करने वाली ममता मुख्यमंत्री पद पर बनीं नहीं रह सकती. वराकी द्वारा दाखिल इस याचिका में कहा गया था कि संविधान की अनुसूची III के तहत पद की शपथ में कहा जाता है कि मुख्यमंत्री भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ एक बयान नहीं दे सकते.
वहीं, ममता बनर्जी ने सीएए मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के साथ जनमत संग्रह की मांग की है और यह भारतीय संप्रभुता और उसकी शपथ का खुला उल्लंघन है, याचिका में दावा किया गया है. शपथ के उल्लंघन के बाद वह अब पद संभालने के योग्य नहीं है, याचिका में कहा गया और उन्हें राज्य की मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की गयी थी.
याचिका में ममता द्वारा 19 दिसंबर 2019 को दिय गये उनके बयान को आधार बनाया गया था. इस बयान में ममता ने कहा था कि भाजपा को बहुमत मिला है तो इसका मतलब ये नहीं कि वो कुछ भी कर सकती है. नागरिकता संशोधन कानून पर यूएन की निगरानी में जनमत संग्रह होना चाहिए.