- ‘नये साल में आशाएं’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में बोले अतिथि
- शिक्षण संस्थानों का राजनीतिकरण रोकने के लिए कदम उठाये सरकार
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शिक्षा-स्वास्थ्य के साथ आर्थिक मोर्चे पर मजबूत हो देश
‘नये साल में आशाएं’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में बोले अतिथि शिक्षण संस्थानों का राजनीतिकरण रोकने के लिए कदम उठाये सरकार कोलकाता : गुजरता 2019 साल देश के लिए कई मायनों में बेहतर रहा. कई सारे ऐतिहासिक कदम उठाये गये. कुछ मामलों में शैक्षणिक संस्थानों पर राजनीति हावी होती दिखी. कई मामलों में सांप्रदायिक सौहार्द […]
कोलकाता : गुजरता 2019 साल देश के लिए कई मायनों में बेहतर रहा. कई सारे ऐतिहासिक कदम उठाये गये. कुछ मामलों में शैक्षणिक संस्थानों पर राजनीति हावी होती दिखी. कई मामलों में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश गयी, वहीं कुछ मामलों में देशहित में सरकार के कड़े रूख भी देखे गये. बीत रहे 2019 साल का अनुभव और नये साल 2020 में आशाएं विषय पर सोमवार को प्रभात खबर कोलकाता कार्यालय में आयोजित परिचर्चा में अतिथियों ने खुल कर रखी अपनी राय.
अधिकतर लोगों ने कहा कि सरकार से नये साल में शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सामाजिक मुद्दों के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे पर अधिक ध्यान देने की उम्मीद लगाये हुए हैं. साथ ही लोगों ने कहा कि नये साल में सरकार को कुछ ऐसे कदम उठाना चाहिए, जिससे शैक्षणिक संस्थानों का राजनीतिकरण न हो.
प्रिया हितेष साह, समाजसेवी : बीत रहा 2019 साल में शैक्षणिक संस्थानों पर राजनीतिकरण अधिक हावी देखा गया, जिसे नये साल में पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए. नये साल में शिक्षा के गिरते स्तर में सुधार के साथ-साथ सारे शैक्षणिक संस्थानों को राजनीतिकरण से मुक्त रखना चाहिए. सरकार को विकासमूलक काम पर अधिक बल देना चाहिए.
तारक श्रीवास्तव, समाजसेवी : गुजरते साल में स्कूलों की स्थिति और बदहाल होती गयी. बंगाल में रोजगार में कमी आयी है. शिक्षा स्तर गिरते चला गया. नये साल में सरकार को शिक्षा स्तर में सुधार लाने और युवाओं के रोजगार पर अधिक जोर देना होगा. युवा ही देश का भविष्य हैं. युवाओं पर ध्यान देना अति आवश्यक है.
पूनम श्रीवास्तव, स्कूल शिक्षिका : मेरा मानना है कि देश के लिए गुजरता साल बेहतर रहा, लेकिन बंगाल में जैसी स्थिति रही, वह बहुत ही खराब रही. एक समय था बंगाल को हर क्षेत्र में आगे माना जाता था, लेकिन आज स्थिति उलट है. यहां शिक्षण संस्थानों का राजनीतिकरण हो रहा है. नये साल में यह पूरी तरह से बंद होनी चाहिए. साथ ही सौहार्दपूर्ण व सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए कदम उठाना जरूरी है, ताकि भाईचारे की भावना अधिक बढ़े.
निकुंज बरलिया, अधिवक्ता, हाइकोर्ट : अयोध्या मामला, एनआरसी व सीएए, धारा 370 जैसे कई मामलों में ऐतिहासिक निर्णय से यह साल देश के लिए गौरवपूर्ण रहा, लेकिन नये साल 2020 में सरकार को आर्थिक मजबूती और रोजगार सृजन पर जोर देना चाहिए. साथ ही बिगड़ते सांप्रदायिक माहौल को ठीक करने के लिए कदम उठाना चाहिए.
हितेष साह, समाजसेवी : गुजरता साल आतंकवादियों से निपटने जैसे कई मामलों में हमारे देश के लिए गौरवपूर्ण रहा और आनेवाला नया साल भी सरकार ऐसे ही गौरवपूर्ण इतिहास रचेगी, ऐसी उम्मीद है. सरकार से आशा करते हैं कि नये साल में ऐसे ही और भी कई सारे कदम उठाये जायें, जो देशहित में वैश्विक स्तर पर गौरव दिलाये.
जय सिंह, समाजसेवी : 2019 में पश्चिम बंगाल में जिस तरह से डेंगू, मलेरिया जैसे रोगों का अधिक प्रकोप देखा गया है. इससे यही कहा जा सकता है कि नये साल में राज्य सरकार को स्वास्थ्य के क्षेत्र में अधिक ध्यान देना जरूरी है. सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर काम करे, ताकि नये साल में लोगों को ऐसे रोगों से परेशानी ना हो.
मोहम्मद जहांगीर, व्यवसायी : गुजरता साल व्यवसायियों के लिए अधिक सिरदर्द रहा. व्यवसायी वर्ग चंदा से परेशान रहे. नये साल में बंगाल में राज्य सरकार को चंदा के धंधा पर लगाम लगाना चाहिए. बंगाल में बढ़ रहे सिंडिकेट राज को खत्म करने के साथ-साथ व्यवसायियों के हित में कुछ बेहतर काम करना चाहिए.
शिव कुमार गुप्ता, लेक्चरर : तीन तलाक, अनुच्छेद 370, एनआरसी व सीएए, अयोध्या जैसे मामलों में केंद्र सरकार ने सराहनीय कदम उठाये, ठीक उसी तरह से नये साल 2020 में सरकार को कुछ और कड़े कानून और नियमों को लाना चाहिए, जिससे देश के विकास के मामलों में किसी तरह से अड़चन नहीं आये. सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाये.
आशीष शर्मा, संगीतकार : संगीत से जुड़े होने के कारण मेरा मानना है कि संगीत के क्षेत्र में यह साल सबसे खराब रहा है, क्योंकि अधिकांशत: पुराने गानों में नया म्युजिक डाल कर उसे नये रूप में पेश किया गया, जबकि नये गाने नाम मात्र ही आये. नये साल में टॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक नये संगीत पर जोर देना चाहिए.
मानव दत्त शर्मा, कैटरिंग व्यवसाय: इस गुजरते साल को पिछले साल से तुलना करें, तो यह साल आर्थिक दृष्टि से भी काफी बेहतर रहा, लेकिन बंगाल में हर क्षेत्र में हर मामले में राजनीतिकरण हावी दिखा, जिसे सरकार को पूरी तरह से अंकुश लगाना चाहिए. नये साल में सरकार कुछ ऐसे कदम उठाये, ताकि जाति के आधार पर आरक्षण खत्म हो जाये. सिर्फ आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाये.
सुजीता कुमारी साव, स्कूल शिक्षिका: नये साल 2020 में सरकार को शिक्षा के साथ-साथ खासकर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में विकास पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि बंगाल में शिक्षा की स्थिति काफी बदहाल है. यहां शिक्षा के साथ-साथ स्पोर्ट्स के क्षेत्र में भी राजनीति हो रही है. नये साल में सरकार से उम्मीद है कि ऐसे क्षेत्रों को राजनीतिकरण से मुक्त रखेगी और प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने पर ध्यान देगी.
उमेश जोशी, निवेश सलाहकार: बीत रहा साल देश के लिए कई मामलों में ऐतिहासिक रहा, लेकिन आर्थिक रूप से लड़खड़ाता दिखा. उम्मीद है कि नये साल 2020 में देश में जीडीपी में सुधार के साथ ही आर्थिक विकास पर भी सरकार ध्यान देगी. नये साल में शिक्षा में ग्लोबल स्तर पर विकास करना चाहिए. देश की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने और हर नागरिक सुविधाओं के विकास पर ध्यान देना चाहिए.
केशरी कुमार तिवारी, अवसरप्राप्त, प्रधानाध्यापक: देशहित के खिलाफ गलत सूचना फैला कर लोगों को भ्रमित करनेवालों के खिलाफ एक कानून बनना चाहिए, ताकि कोई जल्दी अफवाह व गलत सूचना नहीं फैलाये. देश के खिलाफ किसी तरह की अफवाह फैलानेवालों पर राष्ट्रदोह का मामला दर्ज कर कार्रवाई होनी चाहिए. नये साल में सरकार से यही उम्मीद है. 2019 देश के लिए अद्भुत रहा. नये साल में देशहित में और नये नये कदम उठाये जायें. शिक्षा ही नहीं, किसी भी क्षेत्र का राजनीतिकरण कर विकास को अवरूद्ध नहीं किया जाये. देशहित में नये साल में खासकर युवा, शिक्षक, पत्रकार और मीडिया वर्ग की सकारात्मक भूमिका हो.
सुनील कुमार सिंह, स्कूल शिक्षक: बीतता साल बेहतर रहा और उम्मीद है कि नया साल भी देशहित में बेहतर रहेगा. नयी उमंग के साथ सभी काम करेंगे. यह सबसे उम्मीद है और सरकार से भी आशाएं हैं कि राज्य के विकास के लिए नये-नये कदम उठाये जायेंगे.
सूर्यकांत तिवारी, हिंदी शिक्षक : 2019 देश के लिए ऐतिहासिक रहा, लेकिन बंगाल में नैतिकता का पतन होता रहा है. राज्य में शिक्षण संस्थानों में जिस तरह की घटनाएं हुईं, उसकी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए. नये साल में इसे अंकुश लगा कर सांप्रदायिक माहौल को और बेहतर करने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए.
संजीव शर्मा, समाजसेवी: इस हर क्षेत्र में राजनीति देखा गया. शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, महिला सुरक्षा पर कुछ नहीं किया गया, इस पर नये साल में अधिक जोर देना चाहिए. सोशल मीडिया में जिस तरह से अफवाह फैलती है, उस पर भी अंकुश लगानी चाहिए.
ध्रुव कुमार अग्रहरि, समाजसेवी: बीत रहा साल देश के लिए काफी बेहतर रहा, लेकिन बंगाल की स्थिति काफी खराब दौर से गुजर रही है. नये साल में सभी राज्यों को, सभी दलों को आतंकियों के खिलाफ और देशहित में लिये जाने वाले फैसले में केंद्र सरकार का समर्थन करना चाहिए. देशहित में और देश के विकास के लिए अर्थव्यवस्था पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए.
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