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वाट्सएप के जरिये प्रदर्शनकारियों ने रची थी साजिश

हावड़ा : शुक्रवार और शनिवार को अचानक हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों द्वारा हिंसक प्रदर्शन किये जाने को लेकर सिटी पुलिस भी हैरान है. पुलिस यह बात समझने की कोशिश में जुटी है कि आखिर पिलखाना, टिकियापाड़ा, शिवपुर जैसे इलाकों में काफी संख्या में हिंदी व उर्दू भाषी अल्पसंख्यक रहते हैं, बावजूद इसके यहां हिंसा […]

हावड़ा : शुक्रवार और शनिवार को अचानक हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों द्वारा हिंसक प्रदर्शन किये जाने को लेकर सिटी पुलिस भी हैरान है. पुलिस यह बात समझने की कोशिश में जुटी है कि आखिर पिलखाना, टिकियापाड़ा, शिवपुर जैसे इलाकों में काफी संख्या में हिंदी व उर्दू भाषी अल्पसंख्यक रहते हैं, बावजूद इसके यहां हिंसा की कोई घटना नहीं हुई.

हिंसा की घटनाएं शहर से कुछ दूर सांकराइल, डोमजूर, उलबेड़िया में हुई. ये वही जगह है, जहां बांग्लाभाषी अल्पसंख्यक रहते हैं. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, वाट्सएप के माध्यम से लोगों के बीच नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ इन लोगों को भड़काया गया. इन सबों को यह विश्वास दिलाया गया कि यह कानून बांग्लाभाषी अल्पसंख्यकों के हित में नहीं है.
इसका विरोध करना होगा. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, इन सभी को उकसाने में सांप्रदायिक शक्तियों का अहम हाथ रहा. इन्हें बताया गया कि इस कानून के तहत उनकी जमीन छीन ली जायेगी. वे बेघर हो जायेेंगे, इसलिए प्रदर्शन करना ही होगा. तय किया गया कि प्रदर्शन का सबसे आसान तरीका रेल रोको होगा.
13 दिसंबर की शाम 3.22 बजे हजारों की संख्या में भीड़ उलबेड़िया स्टेशन पहुंची और पूरे स्टेशन परिसर में तोड़फोड़ करते हुए हावड़ा-खड़गपुर शाखा को पूरी तरह से अवरूद्ध कर दिया. घंटों ट्रेन सेवा बंद रही. इसके एक दिन बाद 14 दिसंबर को फिर से प्रदर्शनकारियों ने चार से पांच रेलवे स्टेशनों पर तोड़फोड़ की.
इसके अलावा डोमजूर के गरफा मोड़ पर बारी-बारी से 17 बसों को आग के हवाले कर दिया. दो दिनों के प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी से अपील की कि वे गणतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करें. इसके बाद प्रभावित इलाकों के विधानसभा क्षेत्र के विधायक भी सक्रिय हुए. विधायक ने अपने इलाकों के अल्पसंख्यकों के साथ बैठक की. इसका नतीजा यह रहा कि रविवार जिले के किसी भी इलाके से हिंसक प्रदर्शन की घटना नहीं हुई.
शनिवार शाम अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं के साथ बैठक की गयी है. उन्हें समझाया गया है कि वे राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान नहीं करें. उन्होंने भरोसा भी दिलाया है कि प्रदर्शनकारियों को समझायेंगे.
अरूप राय, मंत्री व जिलाध्यक्ष.

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