कोलकाता : भूमिगत जल में आर्सेनिक की मौजूदगी के मामले में बंगाल पूरे देश में शीर्ष पर है. राज्य के पूर्वी व पश्चिमी बर्दवान, मालदा, हुगली, नदिया, हावड़ा, मुर्शिदाबाद, उत्तर व दक्षिण 24-परगना जिलों के 83 ब्लाॅकों में पानी में आर्सेनिक की मौजूदगी खतरनाक स्तर तक पहुंच गयी है.
यहां तक कि राजधानी कोलकाता के कुछ इलाकों में भी भूमिगत जल आर्सेनिक-मुक्त नहीं है. लोगों तक आर्सेनिक मुक्त पानी पहुंचाने के लिए सीएसआइआर-सीएमइआरआइ ने वाटर प्यूरीफायर तकनीक विकसित की है, जिससे यहां के लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया करायी जा सकती है.
इस संबंध में संस्थान ने राज्य सरकार को तकनीक का प्रयोग करने के लिए प्रस्ताव भी भेजा था, लेकिन सरकार ने इसे लेकर कोई इच्छा नहीं जतायी है. यह जानकारी बुधवार को सीएसआइआर-सीएमइआरआइ, दुर्गापुर के निदेशक प्रोफेसर (डॉ) हरीश हिरानी ने दी. उन्होंने बताया कि झारखंड व बिहार सरकार ने इस तकनीक के प्रयोग के लिए इच्छा जाहिर की है. इन राज्यों में इस तकनीक का प्रयोग किया जायेगा.
उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा विकसित की गयी तकनीक से प्रति घंटे तीन हजार लीटर आर्सेनिक युक्त पानी को शुद्ध किया जा सकता है. इसके साथ ही संस्थान ने सीएनसी माइक्रो मशीनिंग सेंटर में ‘ नैनो लेस ‘ मशीन बनायी है, जो सर्जिकल टूल मेकिंग इंडस्ट्री व ज्वेलरी इंडस्ट्री के लिए काफी कारगर साबित होगी.