कोलकाता : रसगुल्ला और मधुमेह दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं, लेकिन कोलकाता में दोनों को लेकर दिन भर उत्सुकता रही. रसगुल्ला प्रेमी जहां लोगों को रसगुल्ला खिला रहे थे, तो दूसरी ओर विभिन्न संस्थाओं की ओर से मधुमेह के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा था. दो साल पहले 14 नवंबर को बंगाल के रसगुल्ले को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) की मान्यता दी गयी थी, तभी से इस दिन को रसगुल्ला दिवस के रूप में मनाया जाता है.
उधर शहर के विभिन्न जगहों पर मधुमेह के प्रति जागरूकता के लिए कार्यक्रम आयोजित हुए. दो साल पहले इसी शहर में खोज हुई थी कि टाईप-टू डायबिटीज के मामले में कौन प्रोटीन कितना रोल अदा करता है, जिसकी वजह से शरीर में इंसुलिन की मात्रा घटती है और ब्लड सुगर होता है. यादवपुर इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी, पीजी अस्पताल, विद्यासागर कॉलेज व दक्षिण कोरिया शोध प्रतिष्ठान इंस्टीच्यूट ऑफ बेसिक साइंस के 10 शोधार्थियो ने मॉलिक्युलर मेटाबोलिज्म नाम से विश्व विख्यात जर्मन शोध पत्रिका में 2017 के 14 नवंबर को शोध पत्र प्रकाशित हुआ था. उस दिन से आज के दिन को मधुमेह दिवस के रूप में मनाया जाता है. रसगुल्ला और मधुमेह एक दूसरे के घोर विरोधी हैं. बावजूद इसके दोनों दिवस को अपने-अपने तरीके से लोगों ने मनाया.