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24 घंटे में कोलकाता में दो हार्ट ट्रांसप्‍लांट, देशभर में 10 फीसदी बढ़ा हृदय प्रत्‍यारोपण

कोलकाता के फोर्टिस व आरएन टैगोर में हुआ प्रत्यारोपण हावड़ा की युवती में धड़केगा पटना के युवक का दिल आंध्र प्रदेश से लाया गया युवक का हार्ट हुआ प्रत्यारोपित कोलकाता : पूर्वी भारत के पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक दिन दो हृदय का प्रत्यारोपण कर इतिहास रचा. पहला सफल हार्ट ट्रांसप्लांट सुबह चार बजे […]

कोलकाता के फोर्टिस व आरएन टैगोर में हुआ प्रत्यारोपण

हावड़ा की युवती में धड़केगा पटना के युवक का दिल

आंध्र प्रदेश से लाया गया युवक का हार्ट हुआ प्रत्यारोपित

कोलकाता : पूर्वी भारत के पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक दिन दो हृदय का प्रत्यारोपण कर इतिहास रचा. पहला सफल हार्ट ट्रांसप्लांट सुबह चार बजे फोर्टिस हॉस्पिटल में संपन्न हुआ, जबकि दूसरा रवींद्रनाथ टैगोर इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डिएक साइंस में शाम छह बजे शुरू हुआ है तथा समाचार लिखने तक प्रत्यारोपण जारी है. दोनों मामले में कोलकाता एयरपोर्ट से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर हार्ट को अस्पताल तक लाया गया.

पहले दिल आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में ब्रेन डेथ के शिकार हुए 24 वर्षीय एक युवक का लाया गया, जबकि दूसरा हार्ट पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस से ब्रेन डेथ के शिकार हुए युवक का लाया गया. उल्लेखनीय है कि 21 मई को झारखंड के दिलचंद सिंह का सफल हृदय प्रत्यारोपन हुआ था.

पूर्वी व उत्तर पूर्वी भारत में ऐसा पहली बार हुआ था, जब चार्टर्ड प्लेन व ग्रीन कॉरिडोर बना कर दूसरे राज्य से जिंदा हृदय को लाकर किसी अन्य राज्य के अस्पताल में प्रत्यापित किया गया था. इसके चार महीने के बाद अब फिर कोलकाता में दूसरा व तीसरा हृदय प्रत्यारोपण हुअा है.

फोर्टिस में समीरन का मिला नया दिल

फोर्टिस अस्पताल में सॉल्टलेक के रहने वाले समीरन दत्ता (51) का हृदय प्रत्यारोपण का ऑपरेशन आज सुबह संपन्न हुआ. उसके बाद हालत स्थिर बनी हुई है. फोर्टिस हॉस्पिटल्स आनंदपुर के कार्डियो थोरेसिक सर्जरी एंड वैसकुलर सर्जरी के निदेशक डॉ तापस राय चौधरी के नेतृत्व पांच सदस्यीय मेडिकल टीम ने प्रत्यारोपण को सफलता से अंजाम दिया. फिलहाल मरीज की हालत स्थिर बनी हुई है. उसे अगले 48 घंटे के लिए फोर्टिस अस्पताल में डॉक्टरों की सघन निगरानी में रखा जायेगा है.

16 मिनट जिंदा हृदय पहुंचा अस्पताल

आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में 24 वर्षीय एक युवक की शनिवार ब्रेन डेथ के बाद उसके परिजनों ने अंगदान की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन काकीनाडा में एयरपोर्ट ना होने के कारण हार्ट को काकीनाडा से 68 किलोमीटर स्थित नजदीकी एयरपोर्ट राजमुंद्री लाया गया. चार्टर्ड प्लेन हृदय को लेकर रात के करीब 9.27 बजे रवाना हुआ. जो रात 11.53 बजे कोलकाता लैंड किया.

विधाननगर व कोलकाता पुलिस की मदद से तैयार ग्रीन कॉरिडोर के जरिए कोलकाता एयरपोर्ट से इएम बाइ पास स्थित फोर्टिस तक 26 किलो मीटर की दूरी मात्र 16 मिनट में तय किया गया. सफल प्रत्यारोपण के बाद फोर्टिस के डॉ के एम मनदाना ने बताया कि समीरन की चिकित्सक पिछले कई माह से फोर्टिस में चल रही थी.

मरीज के हर्ट के सभी आर्टरी खराब हो रहे थे. हार्ट फेल होने के कारण वह कई बार अस्पताल में दाखिल भी हो चुका है. वहीं, जिंदा हार्ट के अस्पातल पहुंचते ही रात के करीब 12.15 बजे उसकी सर्जरी आरंभ हुई. जो सुबह के 4 बजे तक चली. अब मरीज को वेंटिलेशन पर रखा गया है. मंगलवार को उसे वेंटिलेशन से हटाया जायेगा.

पटना के 19 वर्षीय युवक का लगा दिल

पटना के 19 वर्षीय युवक का दिल कोलकाता में हावड़ा की 28 वर्षीय युवती में प्रत्यारोपित करने का ऑपरेशन कोलकाता स्थित रवींद्रनाथ टैगोर इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डिएक साइंसेस(आरएन टैगोर) में चल रहा है. अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार पटना के 19 वर्षीय युवक को रविवार को इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, पटना में डॉक्टरों ने ब्रेन डेथ घोषित कर दिया था.

युवक की दुर्घटना के दौरान सिर में चोट लगी थी. सोमवार को उक्त युवक के परिवार वालों ने अंग दान करने की इच्छा जाहिर की. मृतक का हार्ट, किडनी और लीवर दान किया गया है. हार्ट को हार्वेस्ट करने के लिए आरएन टैगोर की डॉक्टरों की विशेष टीम पटना गयी थी और वहां से हार्ट को लेकर स्पाइस जेट की फ्लाइट से कोलकाता 5.30 बजे शाम को पहुंची और ग्रीन कोरिडोर बना कर हार्ट को आरएन टैगोर अस्पताल में ले जाया गया, जहां फिलहाल हार्ट प्रत्यारोपण के लिए ऑपेरशन चल रहा है.

भारत में हृदय प्रत्यारोपण 10 गुना बढ़ा

वर्ष 2016 के बाद से भारत में हृदय प्रत्यारोपण के मामलों में दस गुना वृद्धि हुई है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हृदयदान, पुर्नप्राप्ति और प्रत्यारोपण के बीच बेहतर समन्वय के कारण ऐसी स्थिति बन पायी है. देश में पिछले दो सालों में लगभग 300 हृदय प्रत्यारोपण हुए हैं. गौरतलब है कि हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी एक बेहद संवेदनशील प्रक्रिया है, जिसके दौरान क्षतिग्रस्त मांसपेशियों, धमनी या वाल्व वाले हृदय की जगह पर पूरी तरह से सक्रिय और स्वस्थ हृदय प्रत्यारोपित किया जाता है.

इसके बारे में और जागरूकता बरतने की आवश्यकता है. लोगों को इस तथ्य के बारे में संवेदनशील होना चाहिए कि वे अंगदान के माध्यम से मृत्यु के बाद भी जीवित रह सकते हैं. अंगदान के बारे में मिथकों और गलतफहमी को दूर करने और संदेश को फैलाने की भी जरूरत है.

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