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कोलकाता : अटल की शोकसभा से दूर रहे विरोधी दलों के नेता, राज्यपाल ने कहा, शांतिदूत थे अटलजी

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने शोकसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अटलजी का जीवन सादा और सरल लेकिन उपलब्धियों से परिपूर्ण था. वह सही मायने में शांतिदूत थे. उन्होंने राष्ट्रहित और लोकतांत्रिक परंपराओं का निर्वाह ताउम्र किया. मेघालय के राज्यपाल तथागत राय ने कहा कि इन्सान जब गुजर जाता है […]

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने शोकसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अटलजी का जीवन सादा और सरल लेकिन उपलब्धियों से परिपूर्ण था. वह सही मायने में शांतिदूत थे. उन्होंने राष्ट्रहित और लोकतांत्रिक परंपराओं का निर्वाह ताउम्र किया.
मेघालय के राज्यपाल तथागत राय ने कहा कि इन्सान जब गुजर जाता है तो हर कोई उसकी तारीफ के कसीदे गढ़ता है. हालांकि अटलजी जब जिंदा थे, तो उनको कई तरह से अपमानित किया गया. कुछ लोग उन्हें सांप्रदायिक कहे तो कोलकाता के एक कवि ने इसी आधार पर उनके हाथों पुरस्कार लेने से इन्कार कर दिया था. जब वह राजधर्म का पालन करने की नसीहत अपने अनुज को दिए तो उस वक्त कई लोग उनके बयान की आलोचना किए.
एक योग्य छात्र की तरह नरेंद्र मोदी ने उनका अक्षरश: पालन किया. अटलजी कारगिल में सीमा में घुस आये पाकिस्तानियों को जमकर जबाब दिया तो उनके योग्य शिष्य की तरह नरेंद्र मेदी सीमा लांघकर दुश्मन के घर में घुसकर मार रहे हैं. कैलाश विजय वर्गीय ने कहा कि हिंदी शब्दकोष में दो शब्द अजातशत्रु और अतुलनीय है. अगर किसी भारतीय राजनेता के लिए यह शब्द प्रयोग होता है तो वह एकमात्र अटल बिहारी वाजपेयी ही हैं. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हर ओर लोग उनके साथ अपना जुड़ाव महसूस कर रहे हैं.
अटल-आडवाणी की देन है तृणमूल कांग्रेस
कोलकाता : अटलजी की शोकसभा को संबोधित करते हुए पूर्व तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य रहे और मौजूदा समय में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मुकुल राय ने कहा कि अटलजी भारतीय राजनीति के महाआकाश में एक ध्रुवतारा की हैसियत रखते हैं.
उनके निधन से देश को भारी नुकसान हुआ. उन्होंने अटलजी की उदारता का जिक्र करते हुए कहा कि उस वक्त कांग्रेस से निकलकर तृणमूल कांग्रेस का जन्म हुआ है. अटलजी ही थे जो हर तरह से मदद देकर तृणमूल कांग्रेस को इस मुकाम तक पहुंचाया. जब वह प्रधानमंत्री बने तो ममता बनर्जी को मंत्री तक बनाया. लेकिन आज उनके साथ ममता बनर्जी का जो बर्ताव दिखा, उससे दुख पहुंच रहा है. एक महान नेता को श्रद्धांजलि देने तृणमूल कांग्रेस का कोई नहीं आया, जबकि तृणमूल के जन्म के समय अटलजी का आशीर्वाद नहीं होता तो शायद ही तृणमूल कांग्रेस इस मुकाम पर पहुंचती. वह इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं क्योंकि तब पार्टी के सभी कार्यों की जानकारी उन्हें होती थी.
कोलकाता : अटल की शोकसभा से दूर रहे विरोधी दलों के नेता
कोलकाता : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद में कोलकाता के महाजाति सदन में आयोजित शाेकसभा में समाज के विभिन्न तबके के लोगों ने हिस्सा लिया.
राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के अलावा विरोधी दलों के कुछ प्रतिनिधियों के साथ संत समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में शामिल होकर यह जता दिया कि अटल बिहारी वाजपेयी का लगाव समाज के सभी वर्गों से था. हालांकि राज्य की मुख्य विपक्षी दलों मसलन तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस व माकपा समेत वामपंथी दलों के प्रतिनिधियों ने शोकसभा में न तो हिस्सा लिया और न ही किसी तरह का संदेश भेजा.
अलबत्ता राज्य सरकार की ओर से प्रतिनिधित्व कर अपनी श्रद्धांजलि देने राज्य के सूचना व प्रसारण राज्य मंत्री इंद्रनील सेन जरूर मौजूद हुए. हाॅल पूरी तरह खचाखच भरा था. लोग बारिश की उपेक्षा करके बड़ी संख्या में शोकसभा में शामिल होकर अपना अनुभव एक दूसरे से साझा किये.
शोकसभा में शामिल होनेवालों में प्रदेश भाजपा के पर्यवेक्षक कैलाश विजय वर्गीय और उनके सहयोगी शिव प्रकाश, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष, रूपा गांगुली, मुराल भाई ब्रह्मचारी, मेघालय के राज्यपाल तथागत राय, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, स्वामी उमानंद महाराज, कमलेशानंद महाराज, समीर ब्रह्मचारी, लोक जनशक्ति पार्टी की ओर से मीरा चक्रवर्ती, मुकुल राय, राहुल सिन्हा, जापान जनरल काैंसुलेट मसाऊकी ताबा, ऋषिकेश महाराज, डेनमार्क की काैंसुलेट जनरल स्मिता बाजोरिया, जेडीयू के अशोक दास, प्रदीप नारायण विश्वास, आदिवासी गाइता संगठन के सुनील सोरेन, लोक जन समता पार्टी की ओर से तिलक गांगुली, विश्व हिंदू परिषद के सचुन व आरएसएस की ओर से विद्युत गांगुली, उद्योगपति जेके सर्राफ, शमिक भट्टाचार्य, संजय सिंह, प्रताप बनर्जी, राजकमल पाठक, विजय ओझा, ओम प्रकाश सिंह, अमरनाथ प्रसाद, प्रभाकर तिवारी समेत कई लोग मौजूद थे. सभा में शामिल लोग अटलजी के साथ अपने अनुभवों को एक दूसरे से साझा कर रहे थे.

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